रामचरित मानस से मिलती है जीने की कला
जागरण संवाददाता, नियामताबाद (चंदौली) : मुगलसराय तहसील के बौरी गांव में मानस प्रचार समिति क
जागरण संवाददाता, नियामताबाद (चंदौली) : मुगलसराय तहसील के बौरी गांव में मानस प्रचार समिति की ओर से चल रही श्रीराम कथा बुधवार की देर शाम छठवें दिन भी जारी रही। इसमें वृंदावन से पधारे कथावाचक डा. पुंडरीक महाराज ने श्रीराम- सीता विवाह की चर्चा की। श्रोता भक्तिभाव के सागर में घंटों गोता लगाते रहे।
कथावाचक ने कहा, श्रीराम व सीता के विवाह के उपरांत सीता की मां सुनैना ने उन्हें समझाया कि ससुराल में पति के माता, पिता व अन्य गुरुजन की सेवा सत्कार करना। साथ ही अपने पति के भावों को समझकर उनके आदेश का पालन करना। वहीं भगवान श्रीराम से सुनैना ने कहा कि जिस प्रकार आंखों के पुतली की रक्षा पलकें करती हैं, उसी प्रकार सीता की रक्षा सदैव करना। राम सीता के विवाह के उपरांत चौदहों भुवन में ऐसा उत्साह व्याप्त हो गया जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती। अयोध्या नगर के सौंदर्य व नगरवासियों का उत्साह अविस्मरणीय रहा। लोगों की इच्छा भगवान श्रीराम के राजतिलक की थी। कहा कि जीवन जीने की कला रामचरित मानस से मिलती है। जो व्यक्ति माता, पिता, गुरु व देवता को सम्मान नहीं देते व श्रेष्ठ लोगों से सेवा लेते हैं वे ही निशाचर के समान इस पृथ्वी पर विद्यमान हैं। व्यक्ति को भूलकर भी अभिमान नहीं करना चाहिए। इस मौके पर वीरेंद्रनाथ ¨सह, हरवंश ¨सह, रामदास, उमाशंकर ¨सह सहित अन्य श्रोता मौजूद थे।