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आइसीडीएस विभाग ने दिया सवालों का भ्रामक जवाब

सूचना के अधिकार अधिनियम को अधिकारी हवा में ले रहे। जो सूचनाएं मांगी जा रही उसका सही जवाब नहीं मिल रहा। जो जवाब दिया भी गया उसकी रिपोर्टिंग इतनी घटिया और भ्रामक कि हर कोई सवाल खड़ा कर दे। यहां बात हो रही है जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास विभाग की। डेढ़ माह बाद सूचनाएं दी भी गई तो मात्र तीन ¨बदुओं पर वह भी आधी अधूरी और तथ्यहीन।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 05:19 PM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 05:19 PM (IST)
आइसीडीएस विभाग ने दिया सवालों का भ्रामक जवाब
आइसीडीएस विभाग ने दिया सवालों का भ्रामक जवाब

जागरण संवाददाता, चंदौली : सूचना के अधिकार अधिनियम को अधिकारी हल्के में ले रहे। जो सूचनाएं मांगी जा रही उसका सही जवाब नहीं मिल रहा। जो जवाब दिया भी वह इतना भ्रामक कि हर कोई सवाल खड़ा कर दे। यहां बात हो रही जिला कार्यक्रम अधिकारी बाल विकास विभाग की। डेढ़ माह बाद सूचनाएं दी भी गईं तो मात्र तीन ¨बदुओं पर वह भी आधी अधूरी और तथ्यहीन।

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शबरी संकल्प योजना का कितने को लाभ दिया गया। प्रति लाभार्थी कितना बजट था इसका विभाग के पास लेखा जोखा ही नहीं है। आश्चर्य कि विभाग ब्लाक परियोजनाओं से डेढ़ माह से सूची मांग रहा लेकिन जवाब ही नहीं आया। आंगनबाड़ी केंद्रों के निर्माण में विभाग ने जमकर मनमानी की। यूं कहें कार्यदाई संस्था ने बगैर आदेश के निर्माण इकाई बदल मनमानी वसूली की। इसका जवाब आया कि 123 केंद्रों के सापेक्ष 73 ग्राम पंचायत और 50 केंद्र ग्रामीण अभियंत्रण सेवा ने बनाए। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं के प्रमोशन में खेल हुआ लेकिन इसका जवाब नहीं दिया गया। सूत्रों की माने तो कि प्रमोशन ऐसे लोगों को दी गई जो अधिकारियों की चहेते थे। योग्यता तक नहीं रखते थे। अधिकांश परियोजनाओं में हुए इस खेल के बारे में विभाग इधर-उधर की बातें करके मामले को टाल रहा है। हाट कुक्ड फूड छह महीने बना लेकिन जवाब आया वित्तीय वर्ष में इसका संचालन ही नहीं हुआ। कांटेक्ट बेस पर रखी गई गाड़ियों की संख्या अधिकांश हैं, गाड़ियां कहीं चली भी नहीं लेकिन जवाब आया कि मात्र छह गाड़ियां 18 हजार रुपये प्रतिमाह की दर से लगाई गईं। इस जवाब में सवाल उठता है कि 10 परियोजनाओं में मात्र छह गाड़ियों से कैसे काम लिया गया। इसका अर्थ यह भी कि अन्य परियोजनाओं में अधिकारी गए ही नहीं। विभाग के ऐसे क्रियाकलापों पर उच्च स्तरीय जांच ही दूध का दूध, पानी का पानी कर सकती है।

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'संबंधित परियोजनाओं से सूचनाएं मंगाने को पत्र भेजा गया है। ये परियोजनाएं सूचना मांगने वाले को सीधे उपलब्ध कराएंगी। इसके अलावा अपने प्रयास से भी सूचना संकलन कराई जा रही हैं।

नीलम मेहता, जिला कार्यक्रम अधिकारी


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