जनऔषधि केंद्र में दवाइयां नहीं, इलाज महंगा
मरीजों की सहूलियत को सरकारी अस्पतालों में जनऔषधि केंद्रों की स्थापना की गई है। लेकिन जनऔषधि केंद्रों में दवाइयों का टोटा है। एंटी बायटिक समेत आपरेशन के दौरान इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण इंजेक्शन और टैबलेट मौजूद नहीं हैं।
जागरण संवाददाता, चंदौली : मरीजों की सहूलियत को सरकारी अस्पतालों में जनऔषधि केंद्रों की स्थापना की गई है लेकिन जनऔषधि केंद्रों में दवाइयों का टोटा है। एंटी बायोटिक समेत आपरेशन के दौरान इस्तेमाल होने वाले महत्वपूर्ण इंजेक्शन और टैबलेट मौजूद नहीं हैं। ऐसे में मरीजों को मेडिकल स्टोर की शरण लेनी पड़ रही। इससे इलाज महंगा हो गया है।
केंद्र व प्रदेश सरकार सरकारी अस्पतालों को सुविधा संपन्न बनाने के प्रयास में जुटी है। मरीजों की जांच व इलाज के लिए अस्पतालों को अत्याधुनिक चिकित्सा संसाधनों से युक्त किया जा रहा। साथ ही प्रधानमंत्री की पहल पर सस्ते इलाज के लिए प्रमुख अस्पतालों में जनऔषधि केंद्रों की स्थापना की गई है। जिला अस्पताल में जनऔषधि केंद्र स्थापित है। वहीं चकिया स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय में भी जनऔषधि केंद्र है। यहां मरीजों को अलग-अलग दवाइयों के मूल्य पर तकरीबन 60 फीसदी छूट मिलती है। लेकिन जनऔषधि केंद्र अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने में नाकाम साबित हो रहे। जनऔषधि केंद्रों में जीवनरक्षक दवाइयों का अभाव है। मानक के अनुसार जनऔषधि केंद्रों में 340 प्रकार की दवाइयों की उपलब्धता लगातार बनी रहनी चाहिए। फिलहाल मात्र 215 प्रकार की दवाइयां ही मौजूद हैं। इसमें भी बुखार-जुकाम समेत सामान्य बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली एंटी बायटिक और आपरेशन के महत्वपूर्ण इंजेक्शन और टैबलेट का अभाव है। जिला अस्पताल में रोजाना तकरीबन 500 से अधिक मरीज पहुंचते हैं। चिकित्सकों की ओर से स्वास्थ्य की जांच करने के बाद दवाइयां लिखी जाती हैं। कुछ दवाइयां तो जनऔषधि केंद्र में मिल जाती हैं। जबकि अन्य दवाइयां बाहर से खरीदनी पड़ती हैं। इसके बदले अधिक धनराशि खर्च करनी पड़ रही। इससे सस्ते इलाज की सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा। जनऔषधि केंद्र संचालकों की मानें तो दवाइयों के लिए डिमांड भेजी गई है। जल्द ही दवाइयों की आपूर्ति होने की उम्मीद है।
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वर्जन :
जनऔषधि केंद्र में दवाइयों के लिए डिमांड भेजी गई है। साथ ही सीएमओ को पत्र भेजकर अतिरिक्त दवाइयां उपलब्ध कराने की मांग की गई है। जल्द ही दवा की कमी को दूर किया जाएगा। इसके बाद मरीजों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होगी।
डा. भूपेंद्र द्विवेदी, चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पताल