स्कूलों के कायाकल्प में निजी कंपनियां आगे, जनप्रतिनिधि पीछे
आकांक्षात्मक जनपद में परिषदीय स्कूलों के कायाकल्प के लिए निजी कंपनियां आगे रही हैं। स्कूलों में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कंप्यूटर लगवाए जा रहे। वहीं साइंस लैब भी स्थापित कराए गए।
जागरण संवाददाता, चंदौली : आकांक्षात्मक जनपद में परिषदीय स्कूलों के कायाकल्प के लिए निजी कंपनियां आगे रही हैं। स्कूलों में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कंप्यूटर लगवाए जा रहे। वहीं साइंस लैब भी स्थापित कराए गए। 20 स्कूलों में सेनेटरी नैपकिन वेंडिग मशीनें भी लगवाई गई। फिलहाल जिले में सात निजी कंपनियां काम कर रही हैं। हालांकि जनप्रतिनिधि सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने को लेकर उदासीन बने हुए हैं।
आकांक्षात्मक जिले में शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाने की पहल की जा रही। इसमें सरकारी तंत्र के साथ ही निजी कंपनियों का भी सहारा लिया जा रहा है। फिलहाल जनपद में सात निजी कंपनियां काम कर रही हैं। वीपीसीएल, गेल, इनेडा, एचपीसीएल, रेलटेल, राजस्थान इलेक्ट्रानिक समेत कुल सात निजी कंपनियां सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी फंड) के तहत परिषदीय स्कूलों के कायाकल्प में योगदान दे रही हैं। निजी कंपनियों का फोकस विशेष तौर पर तकनीकी शिक्षा को लेकर है। वीपीसीएल ने तीन स्कूलों में कंप्यूटर लगवाए हैं। वहीं रेलटेल ने स्कूलों में साइंस लैब की स्थापना कराई। इसके अलावा पूर्व माध्यमिक स्कूल बगहीं, सैयदराजा, धानापुर, कमालपुर, बनौली, पिपरी, अमृतपुर, रिठियां समेत 20 स्कूलों में सेनेटरी नैपकिन वेंडिग मशीनें लगवाई हैं। इससे छात्राओं को सहूलियत मिल रही। शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों में विकास का प्रस्ताव तैयार कर कंपनियों को उपलब्ध कराया जा रहा। कंपनियों की मदद से कार्य कराए जा रहे हैं, ताकि स्कूलों को सुविधा संपन्न बनाया जा सके। खल रही जनप्रतिनिधियों की उदासीनता
प्रशासनिक तंत्र व निजी कंपनियां भले ही शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहीं हैं, लेकिन जनता की ओर से चुने गए नुमाइंदे गरीब बच्चों की शिक्षा को लेकर उदासीन बने हुए हैं। सांसद, विधायकों की ओर से परिषदीय स्कूलों के कायाकल्प में दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही। इसके लिए निधि के धनराशि नहीं प्रदान करते हैं। ''जिले में सात निजी कंपनियां काम कर रही हैं। कंपनियों की ओर से सीएसएआर फंड के तहत स्कूलों कंप्यूटर, साइंस लैब व सेनेटरी नैपकिन वेंडिग मशीनें लगवाई गई हैं। इससे पठन-पाठन में सहूलियत हो रही है।''
-भोलेंद्र प्रताप सिंह, बीएसए।