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गरीब किसान बच्चू का मेहनत लाया रंग

जागरण संवाददाता, चकिया (चंदौली): गरीब परिवार में जन्मे बच्चु लाल की अथक मेहनत, परिश्रम आखिर

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 Jan 2018 06:39 PM (IST)Updated: Wed, 17 Jan 2018 06:39 PM (IST)
गरीब किसान बच्चू का  मेहनत लाया रंग
गरीब किसान बच्चू का मेहनत लाया रंग

जागरण संवाददाता, चकिया (चंदौली): गरीब परिवार में जन्मे बच्चु लाल की अथक मेहनत, परिश्रम आखिरकार रंग ला ही दिया। जैविक विधि से खेती कर आधुनिक अन्नदाता बन गए। खेती किसानी के तौर तरीकों के यह माहिर हैं। अन्य किसान इनसे नसीहत लेकर कम लागत में बेहतर उत्पादन की सिख लेने लगे हैं।

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भभौरा गांव निवासी बच्चू लाल अंगुठा टेक होने के बावजूद समाज को स्वस्थ्य रखने के प्रति संजिदा है। महज चार बीघे के छोटे किसान धान की प्रमुख फसल के अलावा वर्तमान में गेहूं, चना, सरसो, आलू सहित हरी सब्जियों का उत्पादन अपने खेतों में कर रखे हैं। भारी भरकम रासायनिक उर्वरकों से मुंह फेर पिछले कुछ वर्षों से जैविक उर्वरक का प्रयोग करने पर भरोसा करने लगे हैं। खेती के अलावा पशु पालन कर दुग्ध उत्पादन कर घर की आर्थिक स्थिति बेहतर करने में लगे हुए हैं। उन्होंने बताया कि पशुपालन से दुग्ध के साथ जैविक उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाती है। खेतों की उर्वरा शक्ति को बचाने को गोबर सहित केचुआ से तैयार होने वाले जैविक उर्वरक का छिड़काव किसान करें तो स्वास्थ्य बेहतर बना रहेगा। उन्होंने बेबाकी से कहा कि खुद सहित परिवार के अस्वस्थता के चलते रासायनिक उर्वरक की अधिकाधिक मात्रा में छिड़काव को तिलांजली देनी पड़ी। दिलो दिमाग में आया कि अधिक फायदे के लिए रासायनिक उर्वरक का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। जैविक विधि से खेती करने मे स्वास्थ्य बेहतर रहेगा। साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहेगी। जैविक खेती से ही खेती किसानी की लंबी पारी खेली जा सकती है।


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