आशियाना दुरुस्त करने में जुटे गरीब
गरीबों को सताने लगा प्लास्टिक का तिरपाल
जासं, चकिया (चंदौली) : झुग्गी झोपड़ी में गुजर-बसर करने वालों को प्लास्टिक तिरपाल की याद सताने लगी है। मौसम की नजाकत भांप गरीब तबका प्लास्टिक तिरपाल खरीदने को आतुर हैं। शनिवार को नगर सहित कस्बा बाजारों में प्लास्टिक की तिरपाल की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ लगी रही। जंगलों पहाड़ों से घिरे तहसील क्षेत्र के अधिकतर वनवासियों सहित अनुसूचित जातियों की रात आज भी झोपड़ी में ही व्यतीत होती है। इनका आशियाना घास-फूस, प्लास्टिक व तिरपाल की मड़ई में ही देखा जा सकता है। हालांकि शासन ने सीएम व पीएम आवास योजना से लाभान्वित करने का भरपूर प्रयास किया है, पर गांव की राजनीति व आवास आवंटन में लापरवाही के चलते योजना का बंटाधार हो गया। नतीजा यह है कि अधिकतर वनवासियों, अनुसूचित जातियों व गरीब तबके के लोगों का रैन बसेरा झुग्गी-झोपड़ी तक ही सीमित रह गया है। योजना से लाभान्वित होने वाले गरीब तबके का अधिकतर पक्का मकान आज भी पूर्ण नहीं हो सके हैं। किसी की छत पूर्ण नहीं तो किसी की नींव ही पड़ी है। खैर मानसून के समय से सक्रिय होने का भान इस गरीब तबके को नहीं होने का खामियाजा भुगतना पड़ गया। पिछले दिनों हुई बारिश से हाल परेशान लोग प्लास्टिक तिरपाल खरीदने में लग गए हैं। दुकानदार भी लॉकडाउन का हवाला देते हुए मनमाने दाम वसूल रहे हैं। मजबूरन गरीब तबका भारी भरकम दाम पर तिरपाल खरीदने और उसे झोपड़ी पर लगाने पर विवश हैं।