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गांव की सरकार : कुदरा गांव की बदहाल गली विकास कार्यों की खोल रही पोल

जागरण संवाददाता चकिया (चंदौली) गली में वर्षों पूर्व लगा पत्थर का उखड़ चुका-चौका ध्वस्त नाली

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 07:42 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 07:42 PM (IST)
गांव की सरकार : कुदरा गांव की बदहाल गली विकास कार्यों की खोल रही पोल
गांव की सरकार : कुदरा गांव की बदहाल गली विकास कार्यों की खोल रही पोल

जागरण संवाददाता, चकिया (चंदौली) : गली में वर्षों पूर्व लगा पत्थर का उखड़ चुका-चौका, ध्वस्त नाली का बहता गंदा पानी कुदरा गांव की बदहाली की कहानी बयां कर रहा है। पिछले पांच वर्षों में विकास कार्यों के नाम गिनाने के लिए कुछ खास नहीं, बल्कि कमियों की भरमार है। सामुदायिक शौचालय, पंचायत भवन, गलियों की मरम्मत आदि बहुत सारे कार्य सिर्फ कागजों में हुए। धरातल पर अपेक्षित विकास नहीं दिखाई देता है। इससे ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। गांव की नई सरकार से उन्हें बड़ी उम्मीदें हैं।

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कागजों में 880 शौचालय, गांव में गंदगी की भरमार

कुदरा गांव में 880 लोगों को शौचालय का लाभ पिछले पांच वर्षों में दिलाया गया। यह कागजी आंकड़ा है लेकिन गांव की तस्वीर कुछ और ही है। ऐसे में ग्रामीण खुले में शौच करने के लिए विवश हैं। गांव में कई लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें आवास, शौचालय योजना का लाभ नहीं मिला। पांच सालों में मात्र एक व्यक्ति को सरकारी आवास मिला। मनरेगा मजदूरों की मजदूरी बाकी है। गांव में स्ट्रीट लाइट नहीं लग सकी है और न ही पेयजल की सुलभ व्यवस्था हो सकी है। कई सरकारी हैंडपंप खराब पड़े हैं तो कुछ पर कतिपय लोगों का कब्जा बना हुआ है। विधवा, पेंशन के लाभार्थियों की लंबी फौज है।

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चुनिदा लोगों को ही मिला आवास व पेंशन का लाभ

अनुसूचित जाति की बहुलता वाली ग्राम पंचायत में गरीब आबादी कच्चे मकान अथवा झोपड़ियों में निवास करती है। पात्रता के बावजूद उन्हें प्रधानमंत्री अथवा मुख्यमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका। ग्राम पंचायत में दो दर्जन से अधिक वृद्धा पेंशन के हकदार हैं।

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परवान नहीं चढ़ सका स्वच्छ भारत मिशन

कुदरा गांव में स्वच्छ भारत मिशन परवान नहीं चढ़ सका। ग्रामीणों की मानें तो शौचालय योजना में निष्पक्षता नहीं बरती गई। इसके चलते इसका बंटाधार हो गया। गांव जाने वाले मुख्य मार्ग पर गंदगी की भरमार है। जमीनी तौर पर महज 40 शौचालय ही गांव में बने हैं। वह भी उपयोग के लायक नहीं हैं। सामुदायिक शौचालय का निर्माण भी अधूरा है।

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सरकारी बजट में हुई लूट खसोट

ग्रामीण उदयशंकर त्रिपाठी कहते हैं कि अनुसूचित जाति बहुलता वाले गांव के विकास के लिए सरकार ने पर्याप्त धन मुहैया कराया था लेकिन बजट के मुताबिक विकास कार्य नहीं हुआ। इससे समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। जयशंकर ने कहा श्रमिक पंजीकरण कराकर तीन हजार रुपये प्रति माह दिए जाने का सब्जबाग दिखाकर सैकड़ों श्रमिकों का आधार कार्ड व बैंक पासबुक ले लिया गया है। गांव में विकास कार्य अपेक्षित ढंग से नहीं हो सका। पारस मौर्य ने कहा कि गांव की गलियां बदहाल हैं। गंदगी का अंबार लगा है। प्राथमिक विद्यालय को जाने वाला रास्ता इसकी नजीर है। पंचम राम बोले, पेंशन व आवास योजना के लाभार्थियों की लंबी फौज ग्राम पंचायत में है, लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया गया।

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निर्वतमान ग्राम प्रधान उवाच

निवर्तमान ग्राम प्रधान अनीता देवी कहती हैं कि ग्राम पंचायत में गलियों, नालियों, पंचायत भवन व आंगनबाड़ी केंद्र की मरम्मत कराई गई है। पेंशन व आवास योजना से अधिकांश लोग लाभान्वित नहीं हो सके। इसका मलाल है। पात्रों को योजना से लाभ करने के लिए सूची बनाकर समाज कल्याण विभाग व ब्लाक मुख्यालय भेजी गई है।

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ग्राम पंचायत की आबादी और चौहद्दी

ग्राम पंचायत कुदरा की आबादी 6000 है। मतदाताओं की संख्या 2456 है। इसमें 1106 महिलाएं व 1350 पुरुष मतदाताओं की संख्या है। गांव के दक्षिण दिशा में बहुअरा, पूरब में भटवारा कला, पश्चिम में पिपरिया व उत्तर दिशा में पहाड़ है।


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