ठंडे बस्ते में पहाड़ी क्षेत्रों में बीटीएस लगाने की योजना
जागरण संवाददाता चंदौली पिछड़े जिले में शुमार धान के कटोरे में प्रशासन भले ही कृषि श्ि
जागरण संवाददाता, चंदौली : पिछड़े जिले में शुमार धान के कटोरे में प्रशासन भले ही कृषि, शिक्षा, स्वास्थ्य को लेकर अपनी पीठ थपथपा रहा हो लेकिन आधुनिक संसाधनों की कमी के कारण आमजन को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वर्षों से जिले के चकिया, शहाबगंज व नौगढ़ क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों में मोबाइल नेटवर्क की समस्या आज भी बनी हुई है। वनांचल के पहाड़ी इलाकों में मोबाइल नेटवर्क सुविधा का अभाव होने के कारण लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दो वर्ष पूर्व जनपद के पिछड़ा जिला घोषित होने के बाद लोगों में उम्मीद जगी कि अब वे मोबाइल कनेक्टिविटी से जुड़़ जाएंगे लेकिन हुआ कुछ नहीं। प्रशासन की ओर से वनों से आच्छादित क्षेत्र में बीटीएस सिस्टम लगाने का दावा भी खोखला ही साबित हो रहा है। हालांकि डेढ़ वर्ष पूर्व जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल ने वनांचल के गांवों को मोबाइल कनेक्टिविटी से जोड़ने की पहल की थी लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो पाया।
भारत सरकार की ओर से गांवों को आधुनिक बनाने के लिए तमाम तरह की योजनाएं संचालित की जा रही हैं। गांवों में बैकिग सुविधा के साथ सहज जन सेवा केंद्र के माध्यम से आनलाइन सेवाएं देने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन यह सब कुछ अभी कागजों में ही चल रहा है। खासकर पहाड़ी क्षेत्र के गांवों में ये सुविधाएं केवल दिखावा ही साबित हो रही हैं। कारण यहां इंटरनेट की सुविधा के नाम पर कोई प्रयास ही नहीं किया गया है। शहाबगंज विकास खंड के छित्तमपुर, ढोढ़नपुर, वनभीषमपुर, बेलावर आदि गांवों को ही लें तो यहां लोग मुख्यधारा से आज भी कटे हुए हैं। मोबाइल नेटवर्क की सुविधा नहीं होने के कारण यहां के ग्रामीणों को अपनों से संपर्क करने के लिए नाकों चने चबाने पड़ते हैं। ऐसे में यह कहा जाए कि यहां के बाशिदों का आधुनिक संसाधनों से कोई सरोकार नहीं है तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।
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वर्जन
वनांचल में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा प्रदान करने को प्रयास किए जा रहे हैं। संबंधित अधिकारियों से वार्ता कर समस्या का समाधान कराया जाएगा।
डा. एके श्रीवास्तव, मुख्य विकास अधिकारी