सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण के विरोध में धरना
आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण के बिल को वापस लेने समेत अन्य मांगों को लेकर संविधान बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने रविवार को बिछियां धरनास्थल पर धरना दिया। सरकार की नीतियों को गरीब विरोधी बताते हुए जमकर नारेबाजी की। चेताया कि यदि मांगों पर विचार नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन को विवश होंगे।
बोले भेदभाव की भावना मिटाने के बजाए वोट को नए हथकंडे अपना रही सरकार
- शासन की नीतियों को बताया गरीब विरोधी, की नारेबाजी
- आरक्षण बिल वापस न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी
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जागरण संवाददाता, चंदौली : आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को 10 फीसद आरक्षण बिल वापस लेने समेत अन्य मांगों को लेकर संविधान बचाओ संघर्ष समिति ने रविवार को बिछियां में धरना दिया। सरकार की नीतियों को गरीब विरोधी बताते हुए नारेबाजी की। चेताया मांगों पर विचार नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
वक्ताओं ने कहा केंद्र सरकार ने आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण का लाभ देकर संविधान के मौलिक अधिकारों की अवहेलना की है। संविधान में उल्लेख है नौकरी, शिक्षा व राजनीति में जिस वर्ग की भागीदारी सबसे कम हो, उसे ही आरक्षण का लाभ दिया जाए। लेकिन अतिरिक्त प्रतिनिधित्व वाले वर्ग को आरक्षण के दायरे में लाने का काम किया गया। आरक्षण के प्रारूप को भी सही ढंग से परिभाषित नहीं किया गया है। सरकार गरीब सवर्णों को कैसे व कहां से 10 फीसदी आरक्षण देगी, इसके बारे में स्पष्ट नहीं किया गया है। इससे एससी, एसटी के आरक्षण पर संकट मंडराने लगा है। आरोप लगाया सरकार समाज में भेदभाव व छुआछूत की भावना मिटाने के बजाए वोट को नए हथकंडे अपना रही है। वक्ताओं ने आरक्षण बिल को वापस लेने, एससी-एसटी को आबादी के हिसाब से नौकरी, शिक्षा व राजनीति में पर्याप्त प्रतिनिधित्व, ओबीसी वर्ग के लोगों की जाति आधारित जनगणना, निजी क्षेत्र में आरक्षण, एससी-एसटी अत्याचार निवारण कानून को और सख्त बनाने व लोकसभा चुनाव बैलेट पेपर से कराने की मांग की। लालबहादुर, अशोक गौतम, चंद्रकांत, बृजेश, रमेश, शंभूनाथ, भोला राम, नंदलाल, हनुमान आदि शामिल रहे।