तीन बेड के अस्पताल में दो सौ मरीजों की ओपीडी
मौसमी बीमारी की गिरफ्त में आए मरीजों की संख्या में इस कदर वृद्धि हो गयी कि बुधवार को प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के बेड कम पड़ गए। एक बेड पर दो मरीजों को भर्ती कर ड्रीप सेट चढाने की नौबत बन गई।
्रजासं शहाबगंज (चंदौली): तीन बेड के अस्पताल में दो सौ मरीजों की ओपीडी। यह बात पढ़ने में जितना अपटपटा लग रही उससे ज्यादा चिकित्सकों एवं प्रभारी चिकित्सक को महसूस होती है। आखिर मरीजो को ले भी जाएं तो कहां। मौसमी बीमारियों के पांव पसारने से बीमारों के अस्पताल में पहुंचने की संख्या दिनों-दिन बढ़ती ही जा रही है। मजबूरी में एक-एक बेड पर दो-दो मरीजों का इलाज किया जा रहा है। चिकित्सक करें भी तो क्या गरीबों को किसके सहारे छोड़ें। केंद्र हो या फिर राज्य सरकार सेहत को लेकर खुद को गंभीर दर्शाती है। सरकार की गंभीरता सरकारी अस्पतालों में देखने को नहीं मिलती है। सरकारी बंदोबस्त के लिहाज से चलें तो एक बेड पर एक ही मरीज का इलाज किया जा सकता है। मौसम के करवट लेने से सर्दी, जुकाम, बुखार, मलेरिया, टाइफाइड, उल्टी, दस्त सरीखी बीमारियों ने पांव पसार लिए हैं। स्वास्थ्य केंद्र पर रोजाना ही मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। अस्पताल की क्षमता पर गौर फरमाएं तो चार बेड का है। इसमें दो बेड महिला अस्पताल के लिए सुरक्षित है। ऐसे में लिखा-पढ़ी में तो दो बेड ही बीमारों के लिए सुरक्षित रहता है। एक बेड की व्यवस्था लोकल स्थल पर की गई है। बुधवार को दोपहर होते-होते आधा दर्जन ऐसे गंभीर मरीज आए कि उन्हें भर्ती कर इलाज करना पड़ा। मसलन, इनफेक्शन, मलेरिया व पीलिया के मरीजों का एक ही बेड पर इलाज प्रारंभ हो गया। इलाकाई लोगों ने बताया कि एक दशक पूर्व पूर्व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा देते हुए 30 बेड की मंजूरी मिली थी, लेकिन वह आदेश जमीन पर उतरता आज तक नजर नहीं आया। नतीजा रोगियों की दुर्दशा के रूप में सामने आ रहा है। इलाकाई लोगों ने बताया कि लोगों के मुताबिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के लिए भवन का निर्माण भी आधा अधूरा हो चुका है लेकिन धन के अभाव के चलते निर्माण कार्य पांच वर्षो से ठप पड़ा हुआ है।