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अतिपिछड़े जिले के 118 गांवों में एक भी नहीं बना गोल्डन कार्ड

जागरण संवाददाता चंदौली नीति आयोग की ओर से अतिपिछड़ा घोषित जिले में स्वास्थ्य व पोषण के क्ष

By JagranEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 10:08 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 10:08 PM (IST)
अतिपिछड़े जिले के 118 गांवों में एक भी नहीं बना गोल्डन कार्ड
अतिपिछड़े जिले के 118 गांवों में एक भी नहीं बना गोल्डन कार्ड

जागरण संवाददाता, चंदौली : नीति आयोग की ओर से अतिपिछड़ा घोषित जिले में स्वास्थ्य व पोषण के क्षेत्र में सुधार पर जोर है। लेकिन अभी तक 118 गांवों में एक भी पात्र व्यक्ति का गोल्डन कार्ड ही नहीं बन सका है। इससे कोरोना काल में गरीब मरीजों को अपना इलाज कराने में तमाम तरह की दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। जनपद में अब तक करीब 1.50 लाख परिवारों का गोल्डन कार्ड बनाया गया है। योजना के तहत 25 निजी व सरकारी अस्पताल संबद्ध हैं।

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बेहतर इलाज के अभाव में गरीब मरीजों की मौत पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की है। इसके तहत 600 से अधिक बीमारियों में मरीजों का योजना के तहत अनुबंधित अस्पतालों में मुफ्त में इलाज किया जाता है। इलाज का खर्च सरकार वहन करती है। अस्पताल प्रशासन को इलाज व जांच से संबंधित बिल उपलब्ध कराना होता है। योजना के लिए पात्रता को पूरा करने वाले परिवारों का गोल्डन कार्ड बनाया जाता है। इलाज के लिए इस कार्ड को दिखाना जरूरी है। लेकिन जिले में गोल्डन कार्ड बनाने की प्रक्रिया काफी धीमी है। सरकार ने कोरोना काल में गांव-गांव लोगों को चिह्नित कर गोल्डन कार्ड बनाने का निर्देश दिया था। लेकिन जिले में सरकार का फरमान बेअसर है। शासन की ओर से निर्धारित 1.20 लाख गोल्डन कार्ड बनाने का लक्ष्य तो पूरा कर लिया गया। लेकिन अभी तक 118 गांवों के लोग योजना के लाभ से वंचित हैं। यहां एक भी व्यक्ति का गोल्डन कार्ड नहीं बनाया गया। वहीं जिन गांवों में पात्रों के गोल्डन कार्ड बनाए गए हैं, वहां भी शत-प्रतिशत लोगों को लाभ नहीं मिल पाया है। मसलन परिवार में एक व्यक्ति का गोल्डन कार्ड बना तो शेष छूट गए। इससे गरीबों को इलाज में तमाम तरह की दुश्वारियां झेलनी पड़ रही हैं।

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निजी अस्पताल नहीं दिखा रहे रुचि

योजना के तहत जिले में डेढ़ दर्जन सरकारी व निजी अस्पतालों से अनुबंध किया गया है। लेकिन मरीजों के इलाज में निजी अस्पताल रुचि नहीं दिखाते हैं। कारण, मरीजों के इलाज के बदले शासन से सीमित भुगतान किया जाता है। जबकि सामान्य मरीजों के इलाज के बदले अस्पतालों की ओर से मोटी रकम वसूली जाती है। इसलिए अस्पताल प्रबंधन को अब यह घाटे का सौदा लगने लगा है।

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वर्जन :

' जिले में पात्रों का गोल्डन कार्ड बनाने की कवायद की जा रही है। एक नवंबर को शिविर लगाकर गोल्डन कार्ड बनाए जाएंगे। वहीं लोगों में इसका वितरण कराया जाएगा। पात्रों को हर हाल में योजना का लाभ मिलेगा।

डा. एनके प्रसाद, एसीएमओ, नोडल आयुष्मान भारत योजना


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