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गांवों में मच्छरों से निबटने की नहीं कोई योजना

ठंड शुरू होते ही मौसमी बीमारियों ने तेजी से पांव पसारना शुरू कर दिया है। बड़ी संख्या में लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। शाम ढलते ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ जा रहा है। नगर हो गांव एक जैसी स्थिति बनी हुई। सबसे खराब स्थिति गांवों की है। गांवों में मच्छरों से निबटने को कोई योजना नहीं बनाई जा रही। म

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Nov 2019 11:59 PM (IST)Updated: Tue, 19 Nov 2019 11:59 PM (IST)
गांवों में मच्छरों से निबटने की नहीं कोई योजना
गांवों में मच्छरों से निबटने की नहीं कोई योजना

जासं, चकिया (चंदौली) : ठंड शुरू होते ही मौसमी बीमारियों ने तेजी से पांव पसारना शुरू कर दिया है। बड़ी संख्या में लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। शाम ढलते ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ जा रहा है। नगर हो गांव एक जैसी स्थिति बनी हुई। सबसे खराब स्थिति गांवों की है। गांवों में मच्छरों से निबटने को कोई योजना नहीं बनाई जा रही। मच्छरों के काटने से लोग मलेरिया व डेंगू की चपेट आ रहे हैं। सफाई नहीं होने से गांवों में जहां-तहां गंदगी का ढेर लगा है।

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दीपावली पर्व बीतने के साथ ही मौसम में बदलाव आया है। सुबह व शाम गुलाबी ठंड ने लोगों की सेहत पर प्रभाव डालना शुरू कर दिया है। खांसी, जुकाम से पीड़ित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। दिन में धूप का असर दिनोंदिन कम होता जा रहा। सर्दी तो बढ़ ही रही है, मौसमी बीमारियों ने पांव पसारना शुरू कर दिया है। पीएचसी, सीएचसी, संयुक्त चिकित्सालय के साथ निजी चिकित्सालयों में मरीजों व तीमारदारों की भीड़ बढ़ गई है। बावजूद इसके पंचायत विभाग की ओर से गांवों में बीमारियों से बचने को कोई ठोस पहल नहीं की जा रही। मजे की बात कि साफ-सुथरा रहने की नसीहत देने वाले संयुक्त चिकित्सालय के कुछ चिकित्सकों के आवास के समीप कूड़ा पसरा हुआ है। सफाई नहीं होने से स्वास्थ्य कर्मियों को मुश्किलों से दो चार होना पड़ रहा।


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