नो पार्किंग जोन है या काली कमाई का अड्डा
रेल पार्सल कार्यालय के आस-पास का सर्कुले¨टग एरिया वैसे तो विभागीय कागजों में बकायदा नो पार्किंग जोन दर्ज है।
जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : रेलवे पार्सल कार्यालय के आसपास का सर्कुले¨टग एरिया वैसे तो विभागीय कागजों में बकायदा नो पार्किंग जोन दर्ज है लेकिन वर्षों से चार पहिया वाहनों के अवैध स्टैंड के रूप में काली कमाई का जरिया बना है। रसूखदार और पहुंच वाले यहां से प्रतिमाह लगभग दो लाख रुपये की वसूली करते हैं। इसे यूं समझिए कि जिसके हाथ सत्ता पक्ष से जुड़े नेताओं तक पहुंचे, स्टैंड उसका हो गया। रेल में कितने ही अधिकारी आए और गए आरपीएफ और जीआरपी में भी कई तेज-तर्रार अधिकारियों की तैनाती हुई लेकिन कोई भी ठेकेदारों के इस काकस को नहीं तोड़ सका। आलम यह कि सबकुछ जानते हुए भी अधिकारी एक दूसरे के सिर ठीकरा फोड़ते हैं।
सर्कुले¨टग एरिया का एक हिस्सा वर्षों से अवैध वाहन स्टैंड बना हुआ है। रेलवे के राजस्व में भले ही फूटी कौड़ी न जाती हो लेकिन स्टैंड चलाने वाले प्रतिदिन पांच से दस हजार रुपये की कमाई करते हैं। जबकि यह क्षेत्र पूरी तरह से नो पार्किंग जोन है। यहां चार पहिया वाहन स्वामी अपनी जिम्मेदारी पर गाड़ी खड़ी कर सकते हैं। जानकारी के बावजूद सक्षम अधिकारी और रेलवे सुरक्षा तंत्र मौन बना रहता है। जब दबाव बढ़ता है तब अभियान चलाया जाता है। लेकिन कुछ ही दिनों के बाद मामला पुराने ढर्रे पर आ जाता है। वाहन स्वामियों को गुमराह करने के लिए एक बोर्ड भी लगा दिया गया है। बात दीगर है कि इस पर न तो स्टैंड का क्षेत्रफल अंकित है ना ही ठेकेदार का नाम। जबकि वैध रूप से लगाए गए बोर्ड पर क्षेत्रफल, ठेकेदार का नाम और अधिकारियों का शिकायती नंबर दर्ज करने का प्राविधान है। आटो स्टैंड का ठेका लेने वाले अवैध रूप से इस स्टैंड को चलाते हैं। अतिक्रमण इस कदर कि पार्सल विभाग के वाहन भी बड़ी मशक्कत से खड़े हो पाते हैं। इस बाबत स्टेशन निदेशक हिमांशु शुक्ला कहते हैं पार्सल कार्यालय के पास वाहन स्वामी अपनी जिम्मेदारी पर वाहन खड़ा कर सकते हैं। शुल्क लेने का कोई प्राविधान नहीं है। अवैध वसूली के बाबत कोई शिकायत नहीं मिली है। डीएन हेडक्वार्टर ने बताया पार्सल कार्यालय के पास कोई वाहन स्टैंड नहीं है। सक्षम अधिकारियों को सर्कुले¨टग एरिया के स्टैंड का पूरा नक्शा उपलब्ध कराया गया है। आरपीएफ के प्रभारी बीएन मिश्र और जीआरपी थाना के प्रभारी आरके ¨सह का कहना है कि वाहन स्टैंड का सीमांकन नहीं होने से पता नहीं चल पाता है कि कौन वैध है और कौन सा अवैध।