लॉकडाउन की चुनौतियों को पार कर घर-घर पहुंचा रहे अखबार
वैश्विक महामारी में लोग संक्रमण से बचने के लिए जब घरों में कैद हैं तो कर्मयोगी चुनौतियों को पार करते हुए घर-घर अखबार पहुंचा रहे। तमाम खतरों व संकटों को दरकिनार करते हुए अपने दायित्वों को निभा रहे हैं। ऐसे में समाचार पत्र वितरक भी स्वास्थ्यकर्मियों व पुलिसकर्मियों के समान सराहना और सम्मान के हकदार हैं।
खबरों से अपडेट करने वाले समाचार पत्र वितरक सराहना के हकदार
हौसला ..
- संक्रमण के खतरे को दरकिनार कर दायित्व निभा रहे कर्मयोगी
- पाठकों से समय से अखबार के बिल के भुगतान की अपील
फोटो : 38, 39 व 47 व 48
जागरण संवाददाता, चंदौली : वैश्विक महामारी में लोग संक्रमण से बचने के लिए जब घरों में कैद हैं, तो कर्मयोगी चुनौतियों को पार करते हुए घर-घर अखबार पहुंचा रहे। तमाम खतरों व संकटों को दरकिनार करते हुए अपने दायित्वों को निभा रहे हैं। ऐसे में समाचार पत्र वितरक भी स्वास्थ्यकर्मियों व पुलिसकर्मियों के समान सराहना और सम्मान के हकदार हैं। प्रशासनिक अमला व पाठक वर्ग खबरों से अपडेट रखने वाले समाचार पत्र वितरकों का सहयोग करे। पाठक समय से अखबार के बिल का भुगतान कर दें। ताकि कर्मयोगियों को घर-परिवार चलाने में किसी तरह के संकट का सामना न करना पड़े।
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन के दौरान जरूरी सेवाएं देने वालों के लिए भी चुनौतियां काफी बढ़ गई हैं। सबसे बड़ी चुनौती तो कोरोना के अप्रत्यक्ष खतरे से है। पुलिसकर्मियों के विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है। कई जगहों पर पुलिस रोक देती है तो लंबा सफर तय कर पहुंचना पड़ रहा। फिर भी शमशेर यादव व महेंद्र यादव समेत दर्जनों समाचार पत्र वितरक सुबह-सुबह घरों में अखबार पहुंचाकर लोगों को देश-दुनिया की खबरों से अपडेट कर रहे हैं। ऐसे में समाचार पत्र वितरकों की जितनी सराहना की जाए, वह कम है। अखबार पूरी तरह से सुरक्षित है। लोग समाचार पत्र खरीदकर पढ़ें और खबरों से अपने को अपडेट रखें। माह के पहले सप्ताह में अखबार के बिल का भुगतान करने का समय आ गया है। पाठक समय से भुगतान कर दें तो कर्मयोगियों को राहत होगी। लॉकडाउन के दौरान संभव है कि समाचार पत्र वितरक आपके दरवाजे तक न पहुंच पाए। ऐसे में लोग आनलाइन विकल्प चुनकर मार्च के साथ ही अप्रैल माह का अग्रिम भुगतान कराकर आर्थिक सहयोग करें।
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कर्मयोगियों का करें सम्मान
जगमेंद्र यादव ने कहा कि ऐसे आपात स्थिति में कर्मयोगियों का कार्य बेहद ही दुरुह है। ऐसे में यदि वे समय से प्रतिदिन मेरे यहां अखबार दे रहे हैं तो हमारा नैतिक कर्तव्य बनता है कि इन्हें समय से पहले अखबार का मूल्य दे दूं। मैं कर्मयोगियों का सम्मान करता हूं। वहीं रतन श्रीवास्तव ने कहा कि मैं कर्मयोगियों का सम्मान करता हूं। मैं इसके लिए सभी को प्रेरित करता हूं कि ऐसे लोगों का सम्मान करना जरूरी है।