पुरानी कहानी में नए किरदार
पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन चोरों और तस्करों के लिए हमेशा से ही मुफीद रहा है। यहां से गुजरने वाली दर्जनों ट्रेनें केवल यात्रियों को ही उनके गंतव्य तक नहीं पहुंचाती हैं बल्कि इनके जरिए अवैध और प्रतिबंधित सामान भी आसानी से देश के कोने-कोने तक पहुंच जाते हैं।
जागरण संवाददाता पीडीडीयू नगर (चंदौली): पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन चोरों और तस्करों के लिए हमेशा से ही मुफीद रहा है। यहां से गुजरने वाली दर्जनों ट्रेनें केवल यात्रियों को ही उनके गंतव्य तक नहीं पहुंचाती बल्कि इनके जरिए अवैध और प्रतिबंधित सामान भी आसानी से देश के कोने-कोने तक पहुंच जाते हैं। हालांकि जीआरपी और आरपीएफ की टीमों के हाथ यदा-कदा बड़ी कामयाबी भी लगती। बहरहाल ट्रेनों में सबकुछ सामान्य चल रहा है। तस्करी की कोई बड़ी वारदात देखने और सुनने को नहीं मिली है। ऐसे में जीआरपी अंतरराज्यीय गिरोह के चोरों को पकड़ कर खुद की सक्रियता को दर्शाती रहती है। हैरतअंगेज यह कि हाल फिलहाल जितने भी शातिर चोर पकड़े गए सब अकेले ही वारदात को अंजाम देने निकले तो स्टेशन के पश्चिमी छोर से पकड़े गए। सभी के पकड़े जाने की एक जैसी कहानी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रही है। चोरों को पकड़ने के बाद जीआरपी की ओर से जो भी विज्ञप्ति जारी की जा रही है उसकी कहानी एक जैसी ही है। केवल किरदार बदल रहे हैं। जीआरपी की विज्ञप्ति के अनुसार विगत एक पखवारे में अलग-अलग पकड़े गए चार अंतरराज्यीय चोर अकेले ही वारदात को अंजाम देने निकले थे। सभी स्टेशन के पश्चिमी छोर से पकड़े गए कभी प्लेटफार्म एक से तो कभी चार या सात से। हैरानी और भी बढ़ जाती जब दो चोरों के पास तलाशी के दौरान एक समान बीस-बीस हजार नकदी और चोरी का एक मोबाइल मिलता है। कहानी अटपटी जरूर लगती है लेकिन जीआरपी के पास तो यही एकमात्र स्क्रिप्ट है। इसी में नए-नए किरदारों को फिट करना पड़ रहा है।