Move to Jagran APP

श्रीराम कथा को जीवन में आत्मसात् करने की जरूरत

जागरण संवाददाता इलिया (चंदौली) धर्म और प्रेम का वास्तविक स्वरुप श्रीराम कथा से मिलता है। धम

By JagranEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 06:18 PM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 06:18 PM (IST)
श्रीराम कथा को जीवन में आत्मसात् करने की जरूरत
श्रीराम कथा को जीवन में आत्मसात् करने की जरूरत

जागरण संवाददाता, इलिया (चंदौली) : धर्म और प्रेम का वास्तविक स्वरुप श्रीराम कथा से मिलता है। धर्म उत्थान तो प्रेम समर्पण का दर्शन कराता है। उक्त बातें वाराणसी से पधारी कथावाचिका प्रियंका पाण्डेय ने वनांचल के ताला गांव में शुक्रवार की शाम नौ दिवसीय संगीतमय श्रीराम कथा के दौरान कहीं।

loksabha election banner

कहा कि एक जीव की व्यथा ब्रह्म सुनते हैं तो वह कथा बन जाती है। कहने का भाव यह है कि भक्ति में इतना प्रबलता होती है कि पत्थर में भगवान पैदा हो जाते हैं। भक्त अगर सच्चे मन से भगवान की भक्ति करे तो भगवान को नरसिंह जैसे अवतार में प्रहलाद के रुप में भक्तों की रक्षा के लिए प्रगट होना पड़ता है। अहिल्या के उद्धार के लिए नारायण को धरती पर अवतार लेना पड़ा था। मनुष्य जब भी भगवान को याद करता है। भगवान उसके लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। बस यह है कि भगवान की उपासना सच्चे मन से की जानी चाहिए। उन्होंने राम सीता विवाह की चर्चा करते हुए कहा कि भक्ति स्वरूपा माता सीता ज्ञान व वैराग्य रूप प्रभु श्री राम के हृदय का मिलन देख कर देव लोक के देवता भी फूलों की वर्षा करने लगते हैं। भक्त के समर्पण ज्ञान व भक्ति का मिलन ही मानव को जीने की कला सिखाता है। राम कथा सुनने से ही नहीं बल्कि उसको अपने जीवन में आत्मसात करने की आवश्यकता है। तभी मनुष्य का जीवन धन्य हो सकता है। भरोस यादव, बिदु यादव, संगीता, राधिका देवी, विपिन सिंह ने दीप प्रज्वलित कर कथा का शुभारंभ कराया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.