प्रेम को अध्यात्म से जोड़ने की जरूरत
प्रेम का अर्थ बहुत बड़ा होता है । प्रेम से कोई भी कार्य यदि रास्ते सही हो तो सरलता से हल किया जा सकता है। अगर सच्चा प्रेम भाव निष्ठा लगन है तो भगवान को भी प्रसंन्न किया जा सकता है। उक्त व्याख्यान कंदवा गांव के शिव मंदिर परिसर में सात दिवसीय श्रीमछ्वागवत कथा एवं सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठवें दिन कथावाचक डॉ बृजेश मणि पांडेय ने कहीं ।
जासं बरहनी (चदौली) : प्रेम से कोई भी कार्य यदि रास्ते सही हों तो सरलता से हल किया जा सकता है। अगर सच्चा प्रेम, भाव, निष्ठा, लगन है तो भगवान को भी प्रसंन्न किया जा सकता है। उक्त बातें कंदवा गांव के शिव मंदिर परिसर में सात दिवसीय श्रीमछ्वागवत कथा एवं सप्ताह ज्ञान यज्ञ के छठवें दिन कथावाचक डॉ, बृजेश मणि पांडेय ने कही।
कहा मोक्ष की प्राप्ति के लिए प्रेम को अध्यात्म से जोड़ने की जरूरत है। भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा गोपियों का चीर हरण किया जाता है। इस कथा का अध्यात्मिक भाव यह है कि गोपी शब्द का अर्थ होता है जो अपनी हर इंद्रियों से तथा हर प्रकार से परमात्मा को पाने के लिए तड़पता रहता है। ऐसे भक्तों को गोपी कहा जाता है परमात्मा श्री कृष्ण के द्वारा ऐसी भक्तिमय गोपियों का चीर हरण किया जाता है जिसका भाव यह है कि उन गोपियों की आत्मा पर जो माया का आवरण था काम, क्रोध, मद, लोभ इत्यादि विकार थे उसे परमात्मा ने अपने प्रेम लीला के द्वारा समाप्त कर दिया तथा उन्हें हर तरह से अपना लिया। उसका जो लौकिक पक्ष है उसको भी परमात्मा श्री कृष्ण ने अपनी लीला के द्वारा यह तथ्य स्थापित किया कि किसी भी जलाशय में, पवित्र नदी में, अथवा निजी स्नान घर में भी नग्न होकर स्नान नहीं करना चाहिए। जल में वरुण देवता का निवास है ऐसा करना उस देवता का अपमान है। अच्युतानंद, बलराम पाठक, लल्लन मिश्रा, जगदीश तिवारी, वीरेंद्र कुमार शर्मा, राजेंद्र शर्मा, विवेक कुमार, केशव कुमार, द्वारिका राय, मंजू ,जूही ,खुशी ,कली ,काजल आदि उपस्थित थीं।