नेकियों का महीना है माह-ए-रमजान
माह-ए- रमजान नेकियों का महीना है। इस महीने नेकियों की बहार होती है। इसमें रोजे फर्ज व नमाज- ए- तरावीह सुन्नत है। झूठ बोलने व उस पर अमल करने से रोजेदारों को तौबा करना चाहिए। मंगलवार से रोजा की शुरुआत के साथ सेहरी व इफ्तार की धूम मची है। खामोशी के साथ घरों में परिवार के सदस्य इफ्तार का आयोजन कर धार्मिक परंपरा का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं।
जासं, चकिया (चंदौली) : माह-ए- रमजान नेकियों का महीना है। इस महीने नेकियों की बहार होती है। इसमें रोजे फर्ज व नमाज-ए-तरावीह सुन्नत है। झूठ बोलने व उस पर अमल करने से रोजेदारों को तौबा करना चाहिए। मंगलवार से रोजा की शुरुआत के साथ सेहरी व इफ्तार की धूम मची है। खामोशी के साथ घरों में परिवार के सदस्य इफ्तार का आयोजन कर धार्मिक परंपरा का बखूबी निर्वहन कर रहे हैं।
मुस्लिम बाहुल्य गांवों खासकर बहुसंख्यक सदस्यों वाले घरों में इफ्तार के समय माहौल बेहद खुशनुमा व भाईचारा वाला होता है। समुदाय के लोगों ने कहा जो रोजेदार नियमित रूप से घर में इफ्तार रखकर अल्लाह पाक के सामने दुआ मांगते हैं, उनकी दुआ कुबूल होती है। मस्जिदों में हाफिज कुरआन-ए-तरावीह पढ़ा रहे हैं। बड़गावां गांव के इबरार अहमद, तनवीर खान ने बताया कभी न खाना, न सोना, न पीना यह सिफत फरिश्तों की होती है। इसके उलट जब जहां खाया, पिया, लज्जत हासिल कर लिया यह शैतानी फितरत है। रमजान माह में रोजेदार पूरी नेक नियति से रोजा रहकर फरिश्तों से मुसाहिबत (बराबरी) कर लेता है। ऐसे में मगरिब के अजान के वक्त घरों में रोजा इफ्तार का होना अल्लाह पाक को बेहद पसंद है।
गुप्त होती इबादतें
घरों में मर्द, औरतों के साथ-साथ इफ्तार व इबादत अल्लाह पाक को पसंद हैं। इससे घरों में बरकत होती रहती है। मुश्ताक अहमद ने कहा इबादतें बातिन (गुप्त) होती हैं, जिसका राज सिर्फ अल्लाह व बंदा ही जानता है। वहीं नमाज इबादतें जाहिर (प्रत्यक्ष) हैं।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप