बच्चों का कीमती समय जाया कर रहा मोबाइल फोन
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इंट्रो-- समय के साथ चलने के लिए मोबाइल जितना जरूरी है उतना खतरनाक भी। मीलों दूर के काम को यह मिनटों में कर देता है। हालांकि जो लोग हर दम मोबाइल से चिपके रहते वे रोगी बनते जा रहे। उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्रों के हाथों में महंगे मोबाइल न केवल उनकी पढ़ाई बाधित कर रहे बल्कि उन्हें गलत रास्ते पर भी ले जाते हैं। इंटरनेट के जमाने में बच्चे जहां ऊल-जुलूल बातों में फंसते हैं वहीं अपना कीमती समय भी जाया करते हैं। विश्वविद्यालयों और कालेजों में मोबाइल पर रोक लगाने का फैसला शानदार है। प्राध्यापक और प्राचार्य इस फैसले का स्वागत करते हैं और अपने कालेजों में इस निर्देश को पूरी तरह से अमल में ला रहे। जासं, चकिया : सावित्री बाई फूले राजकीय पीजी कालेज चकिया के प्राचार्य डा. मिथलेश कुमार कहते हैं कि हाईटेक युग में मोबाइल जहां जरूरत की चीज है वहीं इसका दुरुपयोग भी हो रहा। स्थिति यह कि महाविद्यालय के अधिकांश छात्रों के हाथों में मोबाइल रहते हैं। इसके गलत इस्तेमाल से छात्रों पर कुप्रभाव पड़ रहा। महाविद्यालय परिसर को मोबाइल मुक्त परिसर बनाने की योजना है। उद्देश्य है कि यहां अध्ययनरत बच्चे क्लास रूम अथवा परिसर में सिर्फ अध्ययन का कार्य करें। इसके लिए अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों को मोबाइल नहीं दिए जाने का आग्रह किया जाएगा, ताकि बच्चे कालेज समय में सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई का कार्य कर सकें। बोले यह कहने में कतई गुरेज नहीं कि जो अभिभावक बच्चों को रिझाने, खेल-कूद से बचाने के लिए उनके हाथ में मोबाइल देते हैं वे अपने बच्चों का शारीरिक विकास रोक रहे, आंखों की रोशनी तो गायब कर ही रहे, कमर, गर्दन दर्द के अलावा मानसिक रोगी भी बना रहे।