ईसीआर के प्रयास से भारत के बाहर भी लोकप्रिय मिथिला पेंटिग
उत्तर बिहार के प्रमुख लोककला मिथिला पेंटिग्स एवं इस कला से जुड़े कलाकारों को उस समय एक नई पहचान मिली जब पूर्व मध्य रेलवे के समस्तीपुर मंडल के मधुबनी स्टेशन को इस कला के माध्यम से सौंदर्यीकृत किया गया। पेंटिग्स को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूर्व मध्य रेल ने दरभंगा और नई दिल्ली के बीच चलने वाली बिहार संपर्क क्रांति के कोचों को इस पेंटिग्स से सजाया।
जासं, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : उत्तर बिहार के प्रमुख लोककला मिथिला पेंटिग्स एवं इस कला से जुड़े कलाकारों को उस समय एक नई पहचान मिली जब पूर्व मध्य रेलवे के समस्तीपुर मंडल के मधुबनी स्टेशन को इस कला के माध्यम से सौंदर्यीकृत किया गया। पेंटिग्स को बढ़ावा देने के उद्देश्य से पूर्व मध्य रेल ने दरभंगा और नई दिल्ली के बीच चलने वाली बिहार संपर्क क्रांति के कोचों को इस पेंटिग्स से सजाया। साथ ही पटना और नई दिल्ली के बीच चलने वाली राजधानी एक्सप्रेस को भी मिथिला पेंटिग्स से सजाते हुए एक नया लुक प्रदान किया गया है। यूनाइटेड नेशनल इन इंडिया ने ट्वीटर के जरिए बिहार संपर्क क्रांति एक्सप्रेस पर हुए मिथिला पेंटिग की प्रशंसा की।
मधुबनी चित्रकला अथवा मिथिला पेंटिग मिथिला क्षेत्र जैसे बिहार के दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, मुजफ्फरपुर, मधुबनी एवं नेपाल के कुछ क्षेत्रों की प्रमुख चित्रकला है। प्रारंभ में रंगोली के रूप में रहने के बाद यह कला धीरे-धीरे आधुनिक रूप में कपड़ों, दीवारों एवं कागज पर उतर आई है। मिथिला की औरतों द्वारा शुरू की गई इस घरेलू चित्रकला को पुरुषों ने भी अपना लिया है। देश की 13 राजधानी एक्सप्रेस और 11 शताब्दी ट्रेनों पर भी मधुबनी चित्रकला दिखती है। इन कदमों से मिथिला पेंटिग और उससे जुड़े कलाकारों को देश विदेश में एक नई पहचान मिली है। अब विश्व के अग्रणी देशों द्वारा पेंटिग की खूबसूरती से प्रभावित वहां चलने वाली ट्रेनों के कोचों को भी इस कला के माध्यम से सजाए जाने की योजना बनाई गई है। इससे इस कला को जहां एक और अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिलेगी वहीं इस कला से जुड़े कलाकारों को रोजगार के नए द्वार भी खुलेंगे।