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हर साल लाखों पौधे रोपित, संरक्षण के अभाव में सूख जा रहे 30 फीसद

शासन की मंशा के अनुरूप जिले में हर साल लाखों पौधे रोपित किए जाते हैं। लेकिन संरक्षण व देखरेख के अभाव में 30 फीसदी पौधे सूख जा रहे हैं। वन विभाग के साथ अन्य विभागों की उदासीनता से पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को पलीता लग रहा है। वहीं करोड़ों खर्च के बावजूद पर्यावरण संरक्षण की मुहिम परवान नहीं चढ़ रही।

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 10:54 PM (IST)Updated: Thu, 02 Jul 2020 06:01 AM (IST)
हर साल लाखों पौधे रोपित, संरक्षण के अभाव में सूख जा रहे 30 फीसद
हर साल लाखों पौधे रोपित, संरक्षण के अभाव में सूख जा रहे 30 फीसद

जागरण संवाददाता, चंदौली : शासन की मंशा के अनुरूप जिले में हर साल लाखों पौधे रोपित किए जाते हैं। लेकिन संरक्षण व देख-रेख के अभाव में 30 फीसदी पौधे सूख जा रहे हैं। वन विभाग के साथ अन्य विभागों की उदासीनता से पर्यावरण संरक्षण की मुहिम को पलीता लग रहा है। वहीं करोड़ों खर्च के बावजूद पर्यावरण संरक्षण की मुहिम परवान नहीं चढ़ रही।

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वन विभाग के सहयोग से जिले में हर साल लाखों पौधे रोपित किए जाते हैं। शासन स्तर से इस बार भी जनपद में 41.79 लाख पौधे रोपित करने का लक्ष्य आवंटित किया गया है। इसको लेकर जोर-शोर से तैयारी की जा रही है। जिला प्रशासन ने दो दर्जन से अधिक विभागों को पौधारोपण का लक्ष्य बांट दिया है। संबंधित विभागों को आवंटित लक्ष्य के अनुसार पौधारोपण कराना होगा। उधर वन विभाग ने तैयारी कर ली है। विभाग की नर्सरी में विभिन्न प्रजातियों के छायादार व फलदार पौधे तैयार हैं। लेकिन रोपित पौधों के संरक्षण और देखरेख के लिए कोई इंतजाम नहीं किया गया है। ऐसे में इस बार भी 30 फीसद से अधिक रोपित पौधों के सूख जाने की आशंका बनी हुई है। गत तीन वर्षों के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में करीब 60 लाख से अधिक पौधे रोपित किए गए। जिले में वर्ष 2019 में 31 लाख, 2018 में 21 लाख व 2017 में 11 लाख से अधिक पौधे रोपित हुए। वन क्षेत्र के साथ ही अन्य सरकारी विभागों की ओर से सार्वजनिक स्थानों, स्कूल, कालेज आदि स्थानों पर पौधारोपण कराया गया था। विभाग पौधारोपण कराने के बाद भूल गए। इनकी नियमित सिचाई, पशुओं से बचाव आदि के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। इसके चलते जुलाई में रोपित पौधों का सितंबर माह तक कहीं अता-पता नहीं था। वन विभाग भले ही रोपित पौधों के संरक्षण और देखरेख का दावा करता हो, लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल परे है। दिसंबर माह में पौधारोपण अभियान की हकीकत परखने के लिए केंद्रीय टीम के जनपद भ्रमण की सूचना मिली तो अधिकारियों-कर्मचारियों के हाथ-पांव फूल गए। आनन-फानन में सूख चुके पौधों के स्थान पर दोबारा पौधारोपण कराया गया। वहीं टीम के अधिकारियों को नियोजित ढंग से उन्हीं स्थानों की सैर कराई गई, जहां स्थिति ठीक थी।

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पौधों की देखभाल पर मनरेगा से मजदूरी का प्रावधान

सरकार पर्यावरण संरक्षण को लेकर गंभीर है। इसलिए सार्वजनिक स्थानों पर रोपित पौधों की देखभाल के लिए दो लोगों को नियुक्त करने का निर्देश दिया है। उन्हें मनरेगा के जरिए मजदूरी का भुगतान किया जाएगा। वहीं यदि पौधे सूख गए तो संबंधित को अपने खर्च से दोबारा पौधारोपण कराना होगा। खुद की जमीन में रोपित पौधों की देखभाल के लिए किसानों को भी मनरेगा मजदूरी का भुगतान किया जाएगा।

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वर्जन :

'जिले में इस बार 41 लाख से अधिक पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा गया है। इसमें 25 लाख पौधे वन क्षेत्र में रोपित किए जाएंगे। इन पौधों को हर हाल में बचाया जाएगा। वहीं अन्य विभागों की ओर से पौधों की अधिकांश खेप किसानों को दी जाएगी। किसान भी अपने खेतों में लगाए गए पौधों की सुरक्षा व देखभाल कर इसे बचा लेते हैं। ऐसे में कुल मिलाकर अभियान सफल होगा।

- महावीर कौजलई, प्रभागीय वनाधिकारी।


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