जिक युक्त रोटी से बच्चों में दूर होगा कुपोषण
???? ?? ?????? ?? ?????? ??? ????? ????? ?? ???? ? ????????? ?????????? ??? ?? ???? ???????? ???? ????? ????????????? ???? ??????? ??????? ?? ????? ?? ???? ??? 220 ???????? ???? ??? ????? ?? ????? ?????????? ?? ???? ??? ??? ?????? ?? ?????? ?? ???? ????????? ???????? ???? ?????? ?? ?????????? ?? ????? ??? ??? ?? ?????????? ?? ????? ????? ??? ?? ??????? ?? ????? ???? ?? ???? ?????? ?? ?????
जागरण संवाददाता, चंदौली : रोटी से कुपोषण की बीमारी दूर होगी। गेहूं की जिक व आयरनयुक्त प्रजातियां रोग पर भारी पड़ेंगी। काशी हिदू विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान संस्थान के सहयोग से जिले में 220 हेक्टेयर भूमि में गेहूं की विशेष प्रजातियों की खेती हुई है। रविवार को बीएचयू के कृषि वैज्ञानिक प्रोफेसर डा. वीके मिश्र ने अन्नदाताओं के खेतों में लगी इस प्रजातियों का जायजा लिया। साथ ही किसानों को उन्नत खेती के बाबत जागरूक भी किया।
दरअसल, कुपोषण की बीमारी से निजात दिलाने को कवायद की जा रही है। अमीरों की डाइट तो पोषण से भरपूर रहती है। लेकिन दो जून की रोटी को हाड़तोड़ मेहनत करने वाले गरीबों को बेहतर निवाला नसीब नहीं होता है। इससे उनके बच्चे पैदा होने के साथ ही कुपोषण से अभिशप्त हो जाते हैं। इससे निजात दिलाने को वैज्ञानिकों ने तरकीब ढूंढी है। गेहूं की प्रजातियों में ही कुपोषण से लड़ने में सक्षम जिक व आयरन की मात्रा बढ़ाकर गरीबों के निवाले को पोषण के भरपूर बनाने की योजना बनाई है। इसको लेकर बीएचयू की ओर से गेहूं की कई प्रजातियों को विकसित किया गया है। इसमें बीएचयू 25, 35 व 31 प्रजातियां शामिल हैं। बीएचयू के सहयोग से कृषि प्रधान किसानों के यहां इन प्रजातियों की अभी प्रयोग के तौर पर खेती कराई जा रही। जिले के सोता, घटमापुर, लटाव, तियरा, मसोई, अमांव सहित करीब आधा दर्जन गांवों में इन प्रजातियों की खेती हुई है। किसान रामकृष्ण पाठक, रामाज्ञा उपाध्याय, अभिषेक पांडेय, राजन पांडेय समेत अन्य मौजूद रहे।