विधवा कबूतरी की भी सुनिए सरकार
विधवा कबूतरी की भी सुनिए सरकार..
जासं, चंदौली : सरकार भले ही गरीबों को मुफ्त राशन व सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का ढिढोरा पीट रही हो, लेकिन विधवा कबूतरी की सुनने वाला कोई नहीं है। लॉकडाउन में भी कबूतरी का जीवन दो वक्त की रोटी के लिए दूसरों की चौखट के सहारे ही रहा। गांव में किलो दो किलो चावल किसी ने दे दिया तो शाम को चूल्हा जला नहीं तो फांकाकशी में ही रात बीत गई।
शहाबगंज विकास खंड के कौड़िहार गांव की मूल निवासी वनवासी कबूतरी का परिवार दो दशक पूर्व मुबारकपुर गांव (मझराती बंधी) के वन भूमि पर आबाद हो गया। हालांकि पंचायत चुनाव में परिवार अपने मताधिकार का प्रयोग करता रहा, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि ने राशन कार्ड बनवाना मुनासिब नहीं समझा। एक वर्ष पूर्व पति मुराहू के देहांत के बाद कबूतरी अपने चार बेटों के साथ जैसे-तैसे जीवन की गाड़ी को खींच रहीं हैं। राशन कार्ड की सुविधा नहीं मिलने से वह गांव में घूमकर दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करती हैं। वहीं बेटे मजदूरी कर निवाला जुटा पाते हैं। लॉकडाउन के दौरान राशन कार्ड नहीं होने के कारण खाद्यान्न भी नहीं मिल पाया। इतना ही नहीं विधवा पेंशन की सुविधा भी कबूतरी को नहीं मिली है। बताया कि लॉकडाउन में महुआ बाबा आश्रम की ओर से पांच किलो चावल, आटा व खाद्यान्न सामग्री दी गई, लेकिन तीन दिन में ही राशन खत्म हो गया। उसके बाद से जैसे-तैसे दो वक्त की रोटी का जुगाड़ हो पा रहा है। कहा कि राशन कार्ड बन जाता तो उसके जीवन का सहारा हो जाता, लेकिन पंचायत प्रतिनिधि उसकी सुनने को तैयार ही नहीं हैं। गांव में नहीं रहने के कारण राशन कार्ड नहीं बन पाया होगा। सरकार की मंशा के अनुरूप तत्काल राशन कार्ड बनवाकर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाएगा।
-देवेंद्र प्रताप सिंह, जिला पूर्ति अधिकारी।