रहुगण की कथा सुन श्रद्धालु भाव विभोर
कंदवा गांव के शिव मंदिर परिसर में सात दिवसीय श्रीमछ्वागवत कथा एवं सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन कथावाचक डा बृजेश मणि पांडेय ने सत्संग के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। और सत्संग की एक कहानी सुनाया।
जासं, बरहनी (चंदौली) : कंदवा गांव के शिव मंदिर परिसर में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा एवं सप्ताह ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन कथावाचक डा. बृजेश मणि पांडेय ने सत्संग के महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। रहुगण की कथा सुन श्रद्धालु भावविभोर हो गए।
कथा को गति प्रदान करते हुए कहा कि रहुगण सौवीर देश का राजा था। जो पालकी पर बैठकर सत्संग सुनने जाया करता था। एक पालकी उठाने वाले के बीमार होने पर भरत को पालकी ढोने के काम में लगा देता है। पालकी ठीक से नहीं चलने पर उन्हें डांटता है। पालकी ढोने वालों ने बताया हम सब तो ठीक से चल रहे हैं। यह जो नया नियुक्त है। यही बार-बार पालकी का संतुलन बिगाड़ रहा है। राजा नीचे उतरकर उसके मजबूत शरीर को देखकर व्यंग्य कसा कि तुम तो बड़े दुबले-पतले लगते हो बहुत दिन से भोजन नहीं किया है। पालकी को ठीक से लेकर चलो नहीं तो तुमको मौत के घाट उतार दूंगा। राजा का घमंड उसके क्रोध, अज्ञानता एवं दुर्बलता को उजागर कर दिया। भरत के विनम्र भाव सुन राजा अवाक हो गया। भरत के चरणों में गिरकर अपनी आत्मा के उद्धार के विषय में जानना चाहता है। संत जड़ भरत के हृदय में दया आ जाती है और वह बोल पड़ते हैं, बिनु सत्संग विवेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई। अच्युतानंद, बलराम पाठक, वीरेंद्र कुमार शर्मा, राजेंद्र शर्मा, विवेक कुमार, केशव कुमार, द्वारिका राय सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।