लोक गीतों पर झूम उठे श्रोता
दुर्गावती स्थित कुलेश्वरी महोत्सव में कलाकारों ने गीत गजल की प्रस्तुति कर समा बांध दिया। नजर लागी रजा तेरे बंगले पर सुन श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए। शाम-ए-गजल का यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा और पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा। सूफी गायिका कुसुम पांडे ने तोहरो मरद कप्तान हो हमरों किसनवा। एक प्रेम दिवानी एक दरश दिवानी एक राधा एक मीरा दोनों ने श्याम को चाहा पेश की तो श्रोता उसमें डूब गए।
जासं, चंदौली : दुर्गावती स्थित कुलेश्वरी महोत्सव में कलाकारों ने गीत, गजल की प्रस्तुति कर समा बांध दिया। श्रोता मंत्र मुग्ध हो गए। शाम-ए-गजल का यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा और पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजता रहा।
सूफी गायिका कुसुम पांडे ने तोहरो मरद कप्तान हो हमरों, किसनवा। एक प्रेम दिवानी एक दरश दिवानी, एक राधा एक मीरा दोनों ने श्याम को चाहा पेश की तो श्रोता उसमें डूब गए। डाक्टर विजय कपूर ने मंच पर आते ही आप जिनके करीब होते हैं.. गजल से शुरूआत की। गायकों ने मां के चरणों में ठुमरी, चैती और दादरा के रंग सजाए। राग वैरागी में सुर छेड़े और विलंबित मध्य लय व द्रुत में विभिन्न बंदिशें प्रस्तुत कीं। निर्गुण सम्राट मदन राय ने मंच संभाला तो भोजपुरी मिठास घोल दी और फेंक दिहले थरिया बलम गइले झरिया, कौने खोतवा में लुकइलू आहि रे बालम चिरई गीत से तालियां बजाने पर विवश कर दिया। कत्थक नृत्यांगना मंडे वीसी ने मंच पर अपनी प्रस्तुति दी तो तालियों की गड़गड़ाहट से आसमान गूंजायमान हो गया।