किऊल यार्ड रिमाडलिग कार्य पूरा, झाझा-पीडीडीयू रेलखंड को मिलेगी गति
संरक्षित ट्रेन परिचालन की दिशा में पूर्व मध्य रेल ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। किउल यार्ड (304 रूट) में 60 वर्ष पुराना मैकेनिकल लीवर फ्रेम को हटाते हुए इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिग प्रणाली से परिचालन प्रारंभ कर दिया गया है।
जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर (चंदौली) : संरक्षित ट्रेन परिचालन की दिशा में पूर्व मध्य रेल ने उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। किउल यार्ड (304 रूट) में 60 वर्ष पुराना मैकेनिकल लीवर फ्रेम को हटाते हुए इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिग प्रणाली से परिचालन प्रारंभ कर दिया गया है। इससे झाझा से पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलखंड में अब एक भी मैकेनिकल लीवर फ्रेम शेष नहीं है। अब इस रेलखंड पर मैकेनिकल लीवर फ्रेम की जगह इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिग/पैनल इंटरलाकिग/रूट रिले इंटरलाकिग का कार्य शत-प्रतिशत पूरा कर लिया गया है।
सभी यार्डों का आधुनिकीकरण कर भी किया जा चुका है। इससे एक ओर जहां संरक्षा में वृति होगी वहीं ट्रेन परिचालन में भी पहले से कम समय लगेगा। नए किऊल ब्रिज पर भी ट्रेन परिचालन के लिए पूरी तरह तैयार हो चुका है और इस पर परिचालन भी प्रारंभ हो गया है। लखीसराय में अब प्लेटफार्म की संख्या दो से बढ़कर चार हो गई है। इसी तरह किऊल स्टेशन पर भी एक प्लेटफार्म बढ़ाया गया है। किऊल एवं लखीसराय स्टेशन पर यार्ड रिमाडलिग कार्य पूरा हो जाने से कई फायदे होंगे। अब तक किउल स्टेशन पर जमालपुर, झाझा, पटना और गया सहित चार दिशाओं से ट्रेनों का आवागमन होता है जिसका अधिकांश कार्य पारंपरिक तरीके से मानव द्वारा संचालित पद्धति से ही हो रहा था जिससे अब मुक्ति मिल गई है। पटना और गया से आने वाली अधिकतर ट्रेनें लखीसराय होकर गुजरती हैं जबकि जमालपुर और झाझा छोड़ से आने वाली ट्रेनों का परिचालन किऊल होकर किया जाता है। लखीसरसय स्टेशन पर प्लेटफार्म की संख्या में वृद्धि हो जाने से परिचालन सुगम हो जाएगा। अब तक प्लेटफार्म की संख्या कम होने के कारण परिचालनिक कठिनाइयां भी आती थीं, जो अब दूर हो जाएंगी।