रजिस्ट्री पर खरमास का ग्रहण, ढाई करोड़ की कमी
रजिस्ट्री बाजार मंदी की मार से बेजार है। खरमास में बाजार पर छाया मंदी का साया और गहरा गया है। इस बार खरमास में जमीन की रजिस्ट्री में तकरीबन 50 फीसदी तक गिरावट आई। ऐसे में रजिस्ट्रार निबंधन विभाग स्टांप बिक्री और रजिस्ट्री के मासिक व वार्षिक लक्ष्य को पूरा करने में नाकाम साबित हो रहा है।
जागरण संवाददाता, चंदौली : रजिस्ट्री बाजार मंदी की मार से बेजार है। खरमास में बाजार पर छाया मंदी का साया और गहरा गया है। इस बार खरमास में जमीन की रजिस्ट्री में तकरीबन 50 फीसद तक गिरावट आई। ऐसे में रजिस्ट्रार निबंधन विभाग स्टांप बिक्री और रजिस्ट्री के मासिक व वार्षिक लक्ष्य को पूरा करने में नाकाम साबित हो रहा है।
नोटबंदी के बाद से रजिस्ट्री बाजार पर मंदी हावी है। जमीन की रजिस्ट्री घटकर आधी हो गई है। हर साल रजिस्ट्री का ग्राफ घटता जा रहा है। त्योहारों पर भी जमीन की रजिस्ट्री में उछाल नहीं आ रहा है। दीपावली, धनतेरस पर रजिस्ट्री बढ़ने की उम्मीद थी, लेकिन गत वर्ष की तुलना में करीब 30 प्रतिशत कम रजिस्ट्री हुई। वार्षिक लक्ष्य और उपलब्धि का आकलन करें तो 2018 में जहां 11 करोड़ से अधिक रजिस्ट्री हुई थी। वहीं 2019 में यह आंकड़ा गिरकर साढ़े सात करोड़ पर पहुंच गया। खरमास में मंदी का साया और गहरा गया। कलेक्ट्रेट स्थित सहायक निबंधक रजिस्ट्रार कार्यालय में सन्नाटा पसरा रहा। इक्का-दुक्का लोग ही रजिस्ट्री कराने पहुंच रहे थे। गत वित्तीय वर्ष में खरमास के दौरान जहां 850 रजिस्ट्री हुई। इस बार मात्र 400 रजिस्ट्री कराई गई। रजिस्ट्री में ढाई करोड़ रुपये की कमी आई है। रजिस्ट्री की दिनोंदिन जटिल होती जा रही प्रक्रिया और रुपये के लेन-देन की निगरानी के चलते लोग जमीन की खरीद-फरोख्त से अब परहेज करने लगे हैं। इसका असर रजिस्ट्री बाजार पर दिख रहा है। 20 हजार से अधिक लेन-देन पर नजर
रुपये के लेन-देन पर सरकार की पैनी नजर है। बैंकों में पैसे की जमा-निकासी की प्रक्रिया जटिल हो गई है। 20 हजार से अधिक लेन-देन पर नजर रखी जा रही है। नियम के अनुसार 20 हजार से अधिक कैश का लेन-देन नहीं किया जा सकता है। इससे अधिक भुगतान चेक के माध्यम से करने का निर्देश है। एसटीएफ व अन्य एजेंसियां जमीन खरीदने वालों की कमाई के जरिए पर भी नजर बनाए हुए हैं। इससे लोग जमीन खरीदने को प्रत्यक्ष पूंजी निवेश करने से पीछे हट रहे हैं। ''इस बार खरमास में मात्र 400 रजिस्ट्री हुई, जबकि पिछली बार 850 रजिस्ट्री हुई थी। रजिस्ट्री में करीब 50 फीसद की कमी आई है। इससे राजस्व की क्षति हुई है।''
-रामसुंदर यादव, सहायक निबंधक रजिस्ट्रार।