इंसानियत जागी, छह लोगों के श्राद्ध में खड़ी रहेगी खाकी
नए साल की सुबह छह लोगों की मौत से पूरा जिला जार-जार रोया था ..। लाजिमी भी पशुओं से भरे ट्रक ने अनुसूचित जाति के सात लोगों को कुचल दिया था, जिसमें एक मासूम बच्ची ही बच पाई। हृदय विदारक घटना ने कुछ पुलिसवालों को ऐसा झकझोरा कि गरीब परिवार का तम-मन-धन से मदद करने की ठान ली।
जागरण संवाददाता, चंदौली : नए साल की सुबह छह लोगों की मौत से पूरा जिला जार-जार रोया था ..। लाजिमी भी पशुओं से भरे ट्रक ने अनुसूचित जाति के सात लोगों को कुचल दिया था, जिसमें एक मासूम बच्ची ही बच पाई। हृदय विदारक घटना ने कुछ पुलिसवालों को ऐसा झकझोरा कि गरीब परिवार का तन-मन-धन से मदद करने की ठान ली। मी¨टग कर श्राद्ध कार्यक्रम को मुफीद मानते सीओ से अनुमति मांगी तो उन्होंने खुद भी दो कदम आगे बढ़ाते मदद को वृहद कर दिया। मसलन, पुलिस वाले सारा खर्च खुद उठाने के साथ श्राद्ध कार्यक्रम में परिवार के लोगों की तरह सादेवेश में हाथ भी बटाएंगे। सिपाहियों ने मदद की ठानी
सकलडीहा सर्किल ऑफिस में डेढ़ दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हैं। इनमें सिपाही, हेड कांस्टेबल, लिपिक संवर्ग के कर्मचारी हैं। वर्ष 2019 के स्वागत में नए सपने संजो दुनिया भर में लोग सोए तो एक गरीब परिवार खूबसूरत सी नई सुबह देखने को नहीं उठ सका। पुलिसकर्मियों ने घटना के बारे में सुनी तो कांप उठे। सिर्फ एक मासूम बच्ची के ¨जदा होने की खबर ने अंदर तक झकझोर दिया। ऐसे में इंसानियत जगी तो श्राद्ध के दिन परिवार के साथ तन-मन-धन से खड़ा होने का संकल्प लिए। प्राइवेट गाड़ी से पहुंचाया गया सामान
पुलिस वालों ने मदद में सरकारी संसाधन को शामिल नहीं किया। मसलन, गरीब परिवार के यहां श्राद्ध का सामान भी निजी गाड़ी से लेकर पहुंचे, ताकि किसी बाहरी मदद की भनक तक न लग सके। यह भरोसा दिलाया कि, कोशिश की जाएगी कि अधिकांश साथी कार्यक्रम में शामिल हों। ऐसा न हुआ तो कुछ साथी तो जरूर मौजूद रहेंगे। 'आखिर पुलिसकर्मी भी तो इंसान हैं। सिपाहियों ने मन की बात बताई तो मुझे लगा कि पहले मेरे मन में विचार आना चाहिए था। बहरहाल, हमें अच्छा लगा तो सहमति ही नहीं जताई, बल्कि मदद के स्वरूप को वृहद किया। पीड़ित परिवार के मुखिया से बातचीत कर अपने निर्णय के बारे में बताते हुए पहले उन्हें विश्वास में लेते उनकी सहमति से कदम बढ़ाया गया।'
त्रिपुरारी पांडेय,
पुलिस क्षेत्राधिकारी सकलडीहा