जर्जर बंधी के सहारे, फसल उत्पादन की उम्मीद
जागरण संवाददाता चंदौली सरकार भले ही अन्नदाताओं की आय दोगुनी करने को कटिबद्ध हो लेकिन
जागरण संवाददाता, चंदौली : सरकार भले ही अन्नदाताओं की आय दोगुनी करने को कटिबद्ध हो लेकिन सिचाई संसाधनों के बदहाल होने से किसान खून के आंसू रोने को विवश हैं। मझराती बंधी के जर्जर होने के बावजूद किसान फसल उत्पादन की उम्मीद पाले हैं। हालांकि किसानों ने कई बार बंधी डिविजन के अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बंधी के तटबंध व कुलावों को क्षतिग्रस्त होने से अनवरत पानी बेकार बह रहा है। वैसे किसान मरता क्या न करता की तर्ज पर प्रतिवर्ष पानी रोकने को पसीना बहाते हैं लेकिन नतीजा सीफर ही निकलता है।
शहाबगंज विकास खंड के मुबारकपुर गांव में स्थित मझराती बंधी का निर्माण पांच दशक पूर्व कराया गया था। इससे किसानों के लगभग पांच सौ एकड़ खेतों की सिचाई होती थी। लेकिन बीते दो दशक से बंधी की स्थिति अत्यंत जर्जर हो गई है। बंधी के तटबंध क्षतिग्रस्त होने के साथ ही झाड़-झंखाड़ से पट गए हैं। बंधी में लगे कुलावे व सुलुस गेट के जर्जर व क्षतिग्रस्त होने से टेल की कौन कहे हेड के किसानों को भी पानी नहीं मिल पाता है। बारिश के दिनों में बंधी के तटबंध में प्रतिवर्ष बड़े-बड़े गड्ढे हो जाते हैं। इससे बंधी के टूटने का खतरा बना रहता है। जैसे तैसे किसान धान की खेती तो कर लेते हैं लेकिन जब गेहूं की बारी आती है तो सिचाई के पानी का संकट खड़ा हो जाता है। वैसे बंधी डिविजन की ओर से वर्षों से बंधी की मरम्मत को कार्य योजना बनाई जा रही है लेकिन शासन से बजट नहीं मिलने के कारण नतीजा सिफर हो जाता है। किसान सुदर्शन सिंह, हीरालाल, बलवंत सिंह आदि ने कहा कि बंधी के बीच का कुलावा क्षतिग्रस्त होने से पानी बेकार बह रहा है लेकिन सुनने वाला कोई नहीं है।
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वर्जन
बंधी के तटबंध व जर्जर कुलावों की मरम्मत को शासन को पत्र लिखा गया है। धन अवमुक्त होने पर मरम्मत का कार्य कराया जाएगा।
मनोज पटेल, एसडीओ बंधी डिविजन