सुख-दुख मनुष्य के साथी हैं : नीरजानंद
अयोध्या मे ज्ञान व भक्ति का एक साथ मिलन हुआ तो अयोध्यावासी खुशी से झूम उठे ।राम ज्ञान है वही सीता भक्ति ।जहां ज्ञान और भक्ति एक साथ हो वहां मंगल ही मंगल होता है।
जासं, इलिया (चंदौली) : अयोध्या में ज्ञान व भक्ति का एक साथ मिलन हुआ तो अयोध्यावासी खुशी से झूम उठे। राम ज्ञान हैं वहीं सीता भक्ति। जहां ज्ञान और भक्ति एक साथ हो वहां मंगल ही मंगल होता है। उक्त बातें मानस यज्ञ सेवा समिति खरौझा के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्री रामकथा के पांचवी निशा पर मंगलवार को नीरजानंद शास्त्री जी ने कही। उन्होंने कहा कि मनुष्य को सुख में उतावला नहीं होना चाहिए और दुख में घबराना नहीं चाहिए क्योंकि सुख-दुख मनुष्य के साथी हैं।
अयोध्या में जब विवाह करके श्री रामचंद्र जी आए तो हर जगह लोग उत्साहित होकर सुख की अनुभूति कर रहे थे। लेकिन जहां सुख की अति होती है वहीं से दुख प्रारंभ हो जाता है। जिस देश, कुल, परिवार से ज्ञान भक्ति दूर हो जाय वहां विनाश और विपत्ति कि काली छाया मंडराने लगती है। जब राम रूपी ज्ञान भक्ति रूपी सीता अयोध्या से दूर हो गयीं तो अयोध्या जैसे राज्य मे मुसीबतों और विपत्तियों का अम्बार लग गया। ऐसे मर्ज का इलाज मात्र संतों के हाथ में होता है। भरत जैसे संत और गुरु वशिष्ठ जैसे परम ज्ञानी ही अयोध्या के मुसीबतों को कम कर सकते हैं। फिर भी ज्ञान भक्ति को अयोध्या से दूर होने पर अयोध्या नगरी शोकाकुल हो गई। उन्होंने कहा कि जिस घर में मंथरा जैसी महिलाओं का प्रवेश हो जाए उस उस परिवार में कलह और दुख हमेशा रहेगा। मंथरा ने भगवान राम सहित पूरे अयोध्या के नर नारियों को दुख पहुंचाने का काम किया। आज हर समाज और परिवार को मंथरा जैसे लोगों से सजग रहने कि आवश्यकता है। कथा में जयप्रकाश जायसवाल, तुलसी प्रसाद, पप्पू लाल, राकेश ¨सह, कन्हैया जायसवाल, सत्येंद्र कुमार, मुन्नू दुबे, सहित सैकड़ों कथा प्रेमी उपस्थित थे।