गीता सिखाती है जीवन जीने की कला
जागरण संवाददाता बरहनी (चंदौली) चिरईगांव में चल रहे चतुर्मास यज्ञ के बाद प्रवचन में सोमवार
जागरण संवाददाता, बरहनी (चंदौली) : चिरईगांव में चल रहे चतुर्मास यज्ञ के बाद प्रवचन में सोमवार को सुंदर राज महाराज ने कहा गीता जीवन जीने की कला सिखाती है। इस पुण्य ग्रंथ के श्रवण से जीवन उर्जावान हो जाता है। जो व्यक्ति पथ से भटक गया, उसे गीता रास्ता दिखाती है।
कहा समाज की कुरितियों को समाप्त करने वाली गीता है। यह मोक्षदायिनी है जो कथा या गीता का अनुसरण करता है वह कभी कुछ गलत नहीं कर सकता। आदर्श माता पिता बनने के लिए पहले गीता का श्रवण करें। स्वयं संस्कारवान बनेंगे तो पुत्र भी संस्कारी होगा। उसी जीवन में अच्छे लोगों से ही संगति होगी। किसी को आप सुख नहीं दे सकते हैं तो उसे दुख भी देने का अधिकार नहीं है। शास्त्र कहता है कि जो व्यक्ति किसी को गलत कार्य के उकसाता या प्रेरित करता है वह भी उतना ही दोषी होता हैं जितना गलत कार्य करने वाला। इसलिए व्यक्ति को गीता के बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए। क्षितिज सिंह, हरवंश सिंह, वीरप्रताप, संतोष सिंह, सीमा सिंह, वंदना सिंह, पूनम सिंह, मृत्युजंय सिंह, शिवबच्चन सिंह आदि मौजूद थे।