चुआंड़ का पानी पी रहा वनवासी समुदाय, प्रशासनिक मशीनरी बेखबर
जागरण संवाददाता चंदौली सूबे की सरकार भले ही प्राथमिकता के आधार पर वनवासियों के विकास
जागरण संवाददाता, चंदौली : सूबे की सरकार भले ही प्राथमिकता के आधार पर वनवासियों के विकास का ढिढोरा पीट रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत इससे परे है। आज भी ऐसे वनवासी परिवार हैं जिनका सरकारी योजनाओं से कोई सरोकार ही नहीं है। रोजी-रोटी की जद्दोजहद तो ठीक शुद्ध पेयजल भी इन्हें नसीब नहीं हो रहा है। पांच साल पर पंचायतों में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के बाद जनप्रतिनिधि इन्हें इनके हाल पर छोड़ देते हैं। यहां बात कर रहे हैं शहाबगंज विकास खंड के मुबारकपुर ग्राम पंचायत (मझराती बंधी की भूमि) में निवास करने वाले वनवासियों की। हैंडपंप नहीं होने से वनवासियों का कुनबा चुआंड़ के पानी से अपनी प्यास बुझाने को विवश है।
लगभग डेढ़ सौ की आबादी वाले वनवासी परिवार के पास न तो रहने के लिए घर है और ना ही दो वक्त की रोटी का जुगाड़। वनों से लकड़ी व दोना, पत्तल बनाकर इनकी जीविका चल रही है। अन्य मूलभूत सुविधाओं सड़क, बिजली, शिक्षा, स्वास्थ्य का भी घोर अभाव है। वैसे वनवासियों ने सरकारी योजनाओं का लाभ पाने को अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की चौखट पर फरियाद लगाई लेकिन इनकी सुनने वाला कोई नहीं है। वर्ष 2012 में समाजसेवी डा. रामअधार जोसेफ ने वनवासियों की पीड़ा दूर करने के लिए बस्ती में हैंडपंप तो लगवा दिया लेकिन दो वर्ष से हैंडपंप खराब है। इससे बस्ती के लोगों को पेजयल के लिए मुसीबत झेलनी पड़ रही है। हालांकि प्रशासनिक मशीनरी यहां विकास की गंगा बहाने पर विचार तो करती है लेकिन वन भूमि (ना चिरागी मौजा) पर आबाद होने के कारण उनके हाथ बंध जाते हैं। वैसे ऐसा नहीं कि वन भूमि पर बसने वाले ये वनवासी इकलौते हैं। ऐसी कई बस्तियां वन भूमि पर मूलभूत सुविधाओं के साथ आबाद हैं। बहरहाल वनवासियों की पीड़ा पर प्रशासनिक मशीनरी को अमल करने की जरूरत है।
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वर्जन
वस्तु स्थिति की जानकारी लेने के बाद वनवासियों को पेयजल उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। ताकि उन्हें शुद्ध पेजयल मुहैया हो सके।
डा. एके श्रीवास्तव, मुख्य विकास अधिकारी