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फायर ब्रिगेड पंगु, आग लगे तो भगवान ही बचाए

दूर दराज के कस्बों को छोड़ दीजिए, जिला मुख्यालय या मिनी महानगर में किसी प्रतिष्ठान में आग लग जाए तो फायर ब्रिगेड को वहां राख ही मिलती है। अग्निशमन विभाग में कार्यरत एक कर्मचारी के बेबस बोल आग से निबटने की सरकारी उपायों को समझने के लिए काफी हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 06:06 PM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 06:06 PM (IST)
फायर ब्रिगेड पंगु, आग लगे तो भगवान ही बचाए
फायर ब्रिगेड पंगु, आग लगे तो भगवान ही बचाए

जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर, (चंदौली): दूरदराज के कस्बों को छोड़ दीजिए, जिला मुख्यालय या मिनी महानगर में किसी प्रतिष्ठान में आग लग जाए तो फायर ब्रिगेड को वहां राख ही मिलती है। अग्निशमन विभाग में कार्यरत एक कर्मचारी के बेबस बोल आग से निबटने के सरकारी उपायों को समझने के लिए काफी हैं। संसाधनों और कर्मचारियों के अभाव ने जिम्मेदार विभाग को पंगु बना दिया है। तीन खटारा दमकल वाहनों के सहारे पूरे जिले की सुरक्षा दे पाना असंभव सी चुनौती है। खुदा न खास्ता कहीं आग लग जाए तो भगवान ही बचाए। दिल्ली के एक होटल में अगलगी के बाद जानमाल के भारी नुकसान के दृष्टिगत जिले में आग से निपटने के इंतजाम और फायर ब्रिगेड विभाग की तैयारियों की पड़ताल की गई तो व्यवस्था में छेद ही छेद नजर आए।

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जिले में एक भी स्टेशन अफसर नहीं

यूं तो चंदौली में दो फायर स्टेशन पीडीडीयू नगर व जिला मुख्यालय पर संचालित हैं। लेकिन स्टेशन आफिसर एक भी नहीं। जबकि शासन स्तर से प्रत्येक तहसीलों में अस्थाई फायर स्टेशन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश जारी किए गए हैं। सूबे के मुख्यमंत्री ने सकलडीहा में स्थाई स्टेशन खोलने की घोषणा भी कर रखी है। लेकिन संसाधनों और कर्मचारियों की कमी राह का रोड़ा बनी हुई है।

कर्मचारियों और संसाधनों की कमी

अग्निशमन विभाग के पास संसाधनों और कर्मचारियों की भारी कमी है। वर्तमान में तीन बड़े दमकल वाहन हैं। इसमें भी एक कुंभ मेले में भेज दिया गया है। एक मुख्यालय पर जबकि एक अन्य पीडीडीयू नगर में है, जो काम चलाऊ ही है। तीन नए वाहनों के लिए वर्ष 2013 से ही प्रयास किया जा रहा है। डीएम, एसपी तक शासन में पत्राचार कर चुके हैं लेकिन सुनवाई नहीं हो रही। कर्मचारियों की बात करें तो सेकेंड आफिसर के चार पद हैं जबकि नियुक्ति एक की है। इसी प्रकार फायरमैन के 42 पदों के सापेक्ष मात्र 28 कर्मचारी कार्यरत हैं, फालोअर के चार पदों में मात्र एक, फायर सर्विस चालक छह होने चाहिए लेकिन पांच ही हैं। तहसीलों में जमीन होने के बावजूद फायर स्टेशन नहीं बन सके हैं।

प्रतिष्ठानों में अभियान नाकाफी

जिले में तीन बड़े होटल हैं। विभाग की ओर से यहां समय-समय पर अग्निशमन यंत्रों जांच की जाती है। कर्मचारियों को अग्नि सुरक्षा के बाबत प्रशिक्षित और जागरूक किया जाता है। कुछ बड़े प्रतिष्ठानों में होजरिल और हाइड्रेंट तो लगाए गए हैं लेकिन उनकी जांच नहीं की जाती।

वर्जन........

अग्निशमन विभाग में संसाधनों की कुछ कमी है। हालांकि डेढ़ावल और चकिया में नए फायर स्टेशन खोले जाने हैं। जमीन चिन्हित कर ली गई है। व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में समय-समय पर जांच अभियान चलाया जाता है।

संतोष कुमार ¨सह, पुलिस अधीक्षक।


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