फसल अवशेष जलाने से नष्ट हो रही मिट्टी की उर्वरा शक्ति, मिट्टी की जांच में पावर आफ हाइड्रोजन की मात्रा अधिक
चंदौली जिले में कृषि विज्ञानियों ने पाया है कि मिट्टी की उर्वरा शक्ति जांच में पावर आफ हाइड्रोजन की मात्रा कम होने की वजह से मिट्टी की क्षमता कम पाई गई है। इस बाबत खेतों की क्षमता में कमी गंभीर संकेत है।
चंदौली, जागरण संवाददाता। धान के कटोरे में अधिक उत्पादन की चाहत में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति नष्ट हो रही है। कृषि विभाग की ओर से गंगा के तराई इलाकों धानापुर, चहनियां, नियामताबाद सहित अन्य विकास खंड के गांवों की मिट्टी की कराई गई जांच में पीएच यानि पावर आफ हाइड्रोजन की मात्रा अधिक पाई गई है। आने वाले दिनों में भी अन्नदाता नहीं चेते तो उपजाऊ भूमि ऊसर हो जाएगी। हालांकि जांच रिपोर्ट के बाद विभाग की ओर से उर्वरा शक्ति को बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
शासन की ओर से नमामि गंगे योजना के तहत धानापुर सहित अन्य विकास खंड को जैविक खेती के लिए चयनित किया गया है। यहां तीन सौ से ऊपर मिट्टी के नमूनों की जांच कराई गई थी, ताकि मृदा की सेहत का आकलन किया जा सके। नतीजा मिट्टी में पीएच यानि अमलीयता व क्षारीयता का प्रतिशत अधिक पाया गया है। सामान्य मिट्टी में अमलीयता व क्षारीयता 6.2 से 7.50 फीसद तक होनी चाहिए, लेकिन यहां आंकड़ा 8 से 8.50 फीसद तक पहुंच गया है। 6.2 फीसद से नीचे मिट्टी अमलीय व 7.50 फीसद से ऊपर होने पर मिट्टी क्षारीय हो जाएगी जो मृदा की सेहत के लिए हानिकारक है।
पीएच ज्यादा होने का विपरीत प्रभाव
मिट्टी में पीएच की मात्रा ज्यादा होने पर लवण की मात्रा बढ़ जाती है। इससे भूमि में बोई गई फसल का विकास तो रूकेगा ही उत्पादन पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा। इतना ही नहीं मिट्टी में जीवांश व कार्बन की मात्रा कम होने से जल संचयन भी कम हो जाता है। इससे फसल अंतिम दौर में कमजोर हो जाती है।
फसल अवशेष जलाने से पड़ रहा प्रभाव
खेतों में फसल अवशेष जलाने से मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व दिन प्रतिदिन नष्ट हो रहे हैं। इससे मृदा की उर्वरा शक्ति पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। किसानों को फसल अवशेष नहीं जलाने के लिए निरंतर जागरूक किया जा रहा लेकिन किसान इसे परंपरा मान चुके हैं।
बोले कृषि अधिकारी
मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है। खेतों में गोबर व ढैंचा की खाद के प्रयोग की सलाह दी जा रही है। - बसंत कुमार दुबे, जिला कृषि अधिकारी।