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गंगा में उफान, खेत जलमग्न होने से चितित किसान

दो दिन से रुक-रुक कर हो रही बारिश के चलते गंगा के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। तटवर्ती गांवों के किसानों के खेतों में नदी का पानी पहुंचने लगा है। इससे किसानों के माथे पर चिता की लकीरें खिच गई हैं। वहीं गंगा में ऊफान देखकर ग्रामीणों को भी बाढ़ का भय सताने लगा है। प्रशासनिक इंतजाम नाकाफी होने से लोगों में रोष है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Sep 2019 06:24 PM (IST)Updated: Sun, 15 Sep 2019 10:55 PM (IST)
गंगा में उफान, खेत जलमग्न होने से चितित किसान
गंगा में उफान, खेत जलमग्न होने से चितित किसान

जासं, चंदौली : दो दिन से रुक-रुक कर हो रही बारिश के चलते गंगा के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। तटवर्ती गांवों के किसानों के खेतों में नदी का पानी पहुंचने लगा है। इससे किसानों के माथे पर चिता की लकीरें खिच गई हैं। वहीं गंगा में उफान देखकर ग्रामीणों को भी बाढ़ का भय सताने लगा है। प्रशासनिक इंतजाम नाकाफी होने से लोगों में रोष है।

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पीडीडीयू नगर प्रतिनिधि के अनुसार मानसून की सक्रियता से गंगा नदी उफान पर है। बारिश से गंगा के जलस्तर में बढ़ाव जारी है। क्षेत्रीय लोगों के अनुसार पिछले दिनों हुई बारिश गंगा का जलस्तर डेढ़ मीटर तक बढ़ा है। यह खतरे के निशान से मात्र कुछ मीटर नीचे रह गया है। गंगा का रौद्र रूप देख तटवर्ती इलाके में रहने वाले ग्रामीणों में भय समाने लगा है। क्षेत्र के कुरहना, कैली, भूपौली, रौना आदि तटवर्ती गांव के लोग कटान व बाढ़ की समस्या से भयभीत हो उठे हैं। सबसे ज्यादा समस्या रौना गांव के लोगों को हो रही है। धानापुर प्रतिनिधि के अनुसार गंगा नदी के जलस्तर में वृद्धि से तटवर्ती इलाके के ग्रामीणों में दहशत का माहौल व्याप्त है। तटवर्ती क्षेत्र के बाशिदों एवं किसानों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं। क्षेत्र के प्रसहटां, रामपुर दीयां, बुद्धपुर, नौघरा, नगवां, अमादपुर, कवलपुरा, गुरैनी, तोरवां सहित दर्जनों गांव के खेतों में पानी घुसने लगा है। सबसे विकट स्थिति नरौली और बड़ौरा गांवों की है। नरौली निवासी मुराहू, डोमन, महेन्द्र, विजय निशाद, गोपाल निशाद ने कहा यदि गंगा के जलस्तर में ऐसे ही ऊफान रहा तो घर-बार छोड़कर पलायन को मजबूर होना पड़ेगा। थानाध्यक्ष ने तटवर्ती इलाकों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया।

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भूमिहीन हो जाएंगे किसान

रौना गांव निवासी दिनेश यादव, मुरली श्याम तिवारी, चंद्रकांत व नवीन ने बताया कि पिछले चार-पांच वर्षों से कटान जारी है। यदि इसी तरह कटान जारी रही तो किसान भूमिहीन हो जाएंगे।


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