पर्यावरण व जल संरक्षण के नाम पर हो रहा शोषण
पर्यावरण व जल संरक्षण के नाम पर हो रहा शोषण
जासं, चंदौली : प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निजी अस्पतालों में मेडिकल वेस्ट निस्तारण को गड्ढा बनवाने व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के निर्देश दिए हैं। इसमें लाखों रुपये खर्च होंगे। बोर्ड की नई गाइडलाइन से निजी अस्पताल संचालक सकते में हैं। इसको लेकर अस्पताल संचालकों का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को कलेक्ट्रेट में जिलाधिकारी नवनीत सिंह चहल से मिला। मुख्यमंत्री के नाम संबोधित पत्रक सौंपकर गाइडलाइन को लागू न करने की मांग की। आरोप लगाया कि इसके नाम पर अस्पताल संचालकों का शोषण होगा। डीएम ने मांगों को शासन तक पहुंचाने का भरोसा दिलाया।
उनका कहना रहा कि पर्यावरण संरक्षण के नाम पर नई प्रणाली थोपी जा रही है। अस्पतालों में मेडिकल वेस्ट निस्तारण व वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगवाने में लाखों रुपये खर्च होंगे। बड़े अस्पतालों में तो यह संभव हो जाएगा। लेकिन छोटे अस्पताल संचालकों की आमदनी काफी कम है, ऐसे अस्पतालों में इंतजाम करना मुश्किल होगा। कहा घरों व बस्तियों से निकलने वाले गंदे पानी व कूड़े-कचरे से पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। इसके निवारण का इंतजाम करने की वजाए बोर्ड अस्पताल संचालकों के पीछे पड़ा है। अस्पतालों में मेडिकल वेस्ट निस्तारण को गड्ढा व गंदा पानी को बहाने के लिए जाली व ट्रीटमेंट प्लांट लगाना काफी महंगा पड़ेगा। नई गाइडलाइन से छोटे अस्पताल संचालकों का काफी अहित होगा। लिहाजा इस पर रोक लगनी चाहिए। चेताया कि यदि मांगों पर विचार नहीं किया गया तो उग्र आंदोलन को विवश होंगे। जिलाधिकारी ने कहा मांगों को शासन तक पहुंचा दिया जाएगा। शासन के निर्देशानुसार जिला प्रशासन कार्रवाई करेगा। डा. केएन पांडेय, डा. दिनेश सिंह, डा. शैलेष, डा. आनंद तिवारी समेत अन्य मौजूद थे।