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कालेज न होने से हर साल सैकड़ों छात्र पढ़ाई छोड़ने को मजबूर

जागरण संवाददाता पड़ाव (चंदौली) क्षेत्र में एक भी कॉलेज न होने से हर साल सैकड़ों छात्र-छ

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Oct 2020 09:36 PM (IST)Updated: Mon, 19 Oct 2020 09:36 PM (IST)
कालेज न होने से हर साल सैकड़ों छात्र पढ़ाई छोड़ने को मजबूर
कालेज न होने से हर साल सैकड़ों छात्र पढ़ाई छोड़ने को मजबूर

जागरण संवाददाता, पड़ाव (चंदौली) : क्षेत्र में एक भी कॉलेज न होने से हर साल सैकड़ों छात्र-छात्राएं पढ़ाई छोड़ने को मजबूर हैं। नागरिकों और विशेष तौर पर छात्राओं की लंबे समय से चली आ रही कालेज की मांग पूरी न होने से अब तक सैकड़ों छात्र छात्राएं उच्च शिक्षा से वंचित हो चुके हैं। आज तक शासन द्वारा एक भी कॉलेज की स्थापना नहीं की गई है। उच्च शिक्षा हासिल करना विद्यार्थियों के लिए महज एक सपना बनकर रह गया है। संपन्न छात्र बाहर जाकर उच्च शिक्षा हासिल कर लेते हैं। शेष को न चाहते हुए भी पढ़ाई छोड़कर घर बैठना पड़ता है। शिक्षा में गुणात्मक सुधार करने को बीस किलोमीटर के दायरे में कॉलेज स्थापित करने का वादा किया गया था। लेकिन हकीकत इसे परे है। कालेज न होने के कारण अधिकतर लड़कियों को आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ रही है। कॉलेज की मांग को लेकर क्षेत्रवासी जनप्रतिनिधियों से गुहार लगा चुके हैं। लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है।

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क्या कहते हैं ग्रामीण

क्षेत्र में एक भी कॉलेज न होने के कारण विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए दूर शहरों के कॉलेजों में प्रवेश लेना पड़ता है। इसको लेकर प्रतिभाशाली छात्र छात्राएं शिक्षा छोड़ने को मजबूर हैं। बड़ी संख्या में विद्यार्थी आठवीं की शिक्षा पूरी करने के बाद कालेजों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए पीडीडीयू नगर या वाराणसी जाते हैं।

अजमल अली

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क्षेत्र में शिक्षा की स्थिति में कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा है। चुनाव में सभी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता आम जनता के बीच शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर सुविधा दिलाने का वायदा करते हैं लेकिन होता कुछ नहीं है। इसका खामियाजा गरीब विद्यार्थियों को भुगतना पड़ रहा है।

बसंत लाल

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निजी कॉलेज तो हैं, पर वे विद्यार्थियों से मनमानी फीस ले रहे हैं। फलस्वरूप गरीब अभिभावक वहां अपने बच्चों का दाखिला नहीं करा पाते हैं। यहां के विद्यार्थियों के प्रति न तो जनप्रतिनिधि संजीदा हैं और ना ही जिला प्रशासन।

मनीष पटेल

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एक भी सरकारी कॉलेज का न होना सरकार की विफलता को दर्शाता है। इससे जाहिर होता है कि सरकार को छात्र-छात्राओं के भविष्य की कोई चिता नहीं है। सरकार सिर्फ सड़क व पुल-पुलिया के निर्माण में लगी है। यहां पर कॉलेज की सख्त आवश्यकता है।

नगेंद्र पटेल


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