साहब की गैरमौजूदगी में मुस्तैद दिखे कर्मचारी
अधिकारी के दफ्तर से निकलते ही कर्मचारियों की चांदी हो जाती और कामकाज छोड़कर गप्पे हांकने में दिन बीत जाता है। इससे लंबित विभागीय कार्यों की फेहरिश्त बढ़ती ही जाती है। इसके चलते सरकार ने कार्यालयों में तैनात बाबुओं व लिपिकों की नकेल कसनी शुरू कर दी है। बाबुओं के कार्यप्रणाली की पड़ताल कराई जा रही।
जासं, चंदौली : अधिकारी के दफ्तर से निकलते ही कर्मचारियों की चांदी हो जाती और कामकाज छोड़कर गप्पे हांकने में दिन बीत जाता है। इससे लंबित विभागीय कार्यों की फेहरिश्त बढ़ती ही जाती है। इसके चलते सरकार ने कार्यालयों में तैनात बाबुओं व लिपिकों की नकेल कसनी शुरू कर दी है। बाबुओं के कार्यप्रणाली की पड़ताल कराई जा रही। इससे पिछले कुछ दिनों से कार्यप्रणाली में सुधार हुआ है, साहब की गैरमौजूदगी में भी बाबू दफ्तरों में काम करते नजर आ रहे। दैनिक जागरण की टीम ने मंगलवार की सुबह 10:20 बजे मुख्यालय स्थित भूमि संरक्षण अधिकारी कार्यालय का जायजा लिया, तो यह स्थिति देखने को मिली।
भूमि संरक्षण अधिकारी एसपी सिंह की कुर्सी खाली थी। वहीं विभाग में तैनात दो अवर अभियंता भी मौजूद नहीं थे। जबकि लिपिक व कर्मचारी दफ्तर में काम करते दिखे। कर्मचारियों में प्रधान सहायक भागवत प्रसाद, वरिष्ठ सहायक सुधीर कुमार श्रीवास्तव, नीरज कुमार, मुहम्मद जावेद, तौफिक अहमद, कनिष्ठ सहायक रजनीश, अंकुर के अलावा मानचित्रक धनंजय सिंह, अनुरेखक सराफतुल इस्लाम, परिचारक बृजेश कुमार व राजलक्ष्मी मौजूद मिले। कर्मचारियों ने बताया कि साहब विभागीय फाइलों पर दस्तखत कराने के लिए विकास भवन गए हैं। जबकि अभियंता कैलाशनाथ सिंह यादव व नरेंद्र कुमार सिंह कार्यालय आए थे। फिलहाल किसी काम से क्षेत्र में गए हैं। विभागीय कार्यों को टालने वाले कर्मचारी भूमि समतलीकरण व अन्य कागजातों में उलझे नजर आए। शासन की मंशा के अनुरूप सरकारी कार्यालयों में तैनात 50 वर्ष से अधिक उम्र के बाबुओं की कुंडली तैयार कराई जा रही है। पिछले 10 वर्ष के सेवा काल में उनके खिलाफ हुई कार्रवाई व सर्विस बुक के रिकार्ड खंगाले जा रहे हैं। विभागाध्यक्ष पूरी रिपोर्ट तैयार कर सीडीओ को मुहैया कराएंगे। मुख्य विकास अधिकारी स्तर से शासन को भेजा जाएगा। यही कारण है कि बाबू व कर्मचारी कार्यालयों में चुस्त दिख रहे। प्रधान सहायक ने बताया कि मनरेगा के तहत भूमि समतलीकरण का काम प्रगति पर है। विभाग की ओर से ऊसर-बंजर भूमि में मेड़बंदी भी कराई जा रही है। ताकि जमीन को उर्वर बनाया जा सके। कहा समतलीकरण व मेड़बंदी के लिए जनपद में भूमि चिह्नित की गई है। इसको लेकर शासन स्तर से धनराशि भी स्वीकृत हुई है। निजी व सार्वजनिक भूमि में काम कराया जा रहा है। किसानों को इसका लाभ मिल रहा है।
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