दवा पर खर्च का विभाग के पास लेखा जोखा नहीं
स्वास्थ्य विभाग को नहीं पता कि 100 बेड के महिला, शिशु अस्पताल में कितने रुपये की दवा खर्च हो गई। एक साल मांग के अनुरूप अस्पताल को धड़ाधड़ दवाएं दी गई लेकिन लेखा जोखा न होने के कारण विभाग ने यह सूचना देने में हाथ खड़े कर दिए।
जागरण संवाददाता, चंदौली : स्वास्थ्य विभाग को नहीं पता कि 100 बेड के महिला, शिशु अस्पताल में कितने रुपये की दवा खर्च हो गई। एक साल मांग के अनुरूप अस्पताल को धड़ाधड़ दवाएं दी गई लेकिन लेखा जोखा न होने के कारण विभाग ने यह सूचना देने में हाथ खड़े कर दिए। यह खुलासा हुआ सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मांगी गई सूचना में। आश्चर्य यह कि इतने बड़े अस्पताल में एक वर्ष में मात्र 81 प्रसव हुईं। यह आंकड़ा एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के एक महीने के बराबर है। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के तहत जिला अस्पताल परिसर में 100 बेड का मातृ शिशु अस्पताल 2017 से संचालित है। इसके लिए सरकार की ओर से कोई बजट स्वीकृत नहीं है। अस्पताल की मांग के अनुरूप सीएमएस जिला अस्पताल की ओर से मात्र दवाएं उपलब्ध कराई जाती हैं। दी गई जानकारी में कहा गया एक वर्ष में 14132 ओपीडी (आउटडोर पेसेंट डिपार्टमेंट) हुईं। आइपीडी (इनडोर पेसेंट डिपार्टमेंट) 1130 हुई। सीजर केस 92 हुए, अन्य आपरेशन 141 और नार्मल डिलवरी 81 हुईं। अल्ट्रासाउंड 3269 और पैथालाजी 3743 हुई। गर्भवती महिला का उपचार, जांच, भर्ती प्रक्रिया, डिलवरी आदि सारी सुविधाएं पीपीपी माडल के इस अस्पताल में मुफ्त में की जाती हैं। केवल दवाओं की आपूर्ति जिला अस्पताल करता है। दवा पर खर्च बजट की सूचना प्रमुखता से मांगी गई थी लेकिन स्वास्थ्य विभाग के पास इसका कोई आंकड़ा न होने के कारण इसका जवाब नहीं दिया गया। एक वर्ष में इतनी कम डिलवरी पर भी विभाग चुप्पी साधे है। 'अस्पताल में दवा पर कितना बजट खर्च हुआ, इसका ब्योरा मांगा गया है। वैसे डिलवरी का आंकड़ा अपेक्षा से काफी पीछे है। दवाब दिया जा रहा है कि ज्यादा से ज्यादा महिलाओं का उपचार, डिलवरी होनी चाहिए।
डा. पीके मिश्र, सीएमओ