मुआवजा मिला कृष्णावती व शीला को, जमीन दीनानाथ की
विकास के नाम पर कृषि व रिहायशी जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा। विस्थापितों की मदद को मुआवजा देने का प्रविधान है। लेकिन मुआवजा वितरण में अनियमितता के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। ताजा मामला सैयदराजा क्षेत्र के नौबतपुर ग्राम पंचायत के बिरैली मौजा का है।
जागरण संवाददाता, चंदौली : विकास के नाम पर कृषि व रिहायशी जमीनों का अधिग्रहण किया जा रहा। विस्थापितों की मदद को मुआवजा देने का प्रविधान है। लेकिन मुआवजा वितरण में अनियमितता के मामले प्रकाश में आ रहे हैं। ताजा मामला सैयदराजा के नौबतपुर ग्राम पंचायत के बिरैली मौजा का है। यहां एक व्यक्ति के जमीन का मुआवजा दूसरे को दे दिया गया। इसमें कोई चूक नहीं हुई, बल्कि सोची-समझी साजिश के तहत एनएचआई और कलेक्ट्रेट के एलआरसी में नियुक्त कर्मियों ने खेल किया। वाजिब हकदार मुआवजा पाने के लिए गत कई वर्षों से दफ्तरों के चक्कर काट रहा। जिलाधिकारी के दरबार से जांच कराने की बात कहकर हर बार लौटाया जा रहा।
राजमार्ग चौड़ीकरण के लिए नौबतपुर ग्राम पंचायत के बिरैली मौजा में लोगों की जमीन का अधिग्रहण वर्ष 2010 में किया गया था। 2016 तक भूस्वामियों को मुआवजा का भी वितरण कर दिया गया। गांव निवासी दीनानाथ की जमीन का मुआवजा कृष्णावती व शीला को दे दिया गया। जबकि लेखपाल की रिपोर्ट में कृष्णावती व शीला के नाम से मौके पर काफी कम जमीन है। सर्किल रेट के हिसाब से भूस्वामियों को मात्र 1.25 लाख मुआवजा दिया जाना चाहिए लेकिन राजमार्ग प्राधिकरण व राजस्व विभाग के बाबुओं की ओर से 6.71 लाख का चेक प्रदान कर दिया गया। सर्किल रेट के हिसाब से दीनानाथ को तकरीबन 20 लाख मुआवजा मिलना चाहिए लेकिन वाजिब हकदार को अभी तक फूटी कौड़ी नसीब नहीं हुई। भुक्तभोगी ने कलेक्ट्रेट स्थित एलआरसी दफ्तर पहुंचकर शिकायत की तो बाबुओं ने खुद का गला फंसता देख जांच के नाम पर टरकाना शुरू कर दिया। कभी तहसील की रिपोर्ट तो कभी लेखपाल से आख्या मंगाने की बात कही जाती है। जबकि लेखपाल ने तहसीलदार के आदेश पर 22 जुलाई को ही आख्या प्रस्तुत कर दी। इसमें कृष्णावती और शीला की जमीन का अंश मुआवजे के सापेक्ष काफी कम दिखाया गया है। भुक्तभोगी ने अधिकारियों से भी गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।