देव प्रबोधिनी एकादशी आज, शालिग्राम व तुलसी होगी शादी
देवोत्थान एकादशी का पावन पर्व सोमवार के हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन घर-घर में विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है।
जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर(चंदौली) : देवोत्थान एकादशी का पावन पर्व सोमवार के हर्षोल्लास एवं धूमधाम से मनाया जाएगा। इस दिन घर-घर में विष्णु भगवान की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व है। मिनी महानगर के बाजार में सुबह से खासी चहल-पहल रही। लोगों ने गन्ने सहित सब्जियां, फल व मिठाई खरीदी। घरों में गेर व खड़िया सहित रंगों से रंगोली सजाई गई।
पंडित सुरेंद्रनाथ तिवारी ने बताया कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी, देवप्रबोधिनी एकादशी या देवोत्थान एकदाशी कहा जाता है। इस बार यह शुभ तिथि 19 नवंबर, सोमवार को है। चार मास से सोए भगवान विष्णु ने इस दिन अपनी योग निद्रा त्यागी दी थी। इसलिए आज के दिन इस पूजा का खास महत्व है। आज के दिन पूजा-अर्चना कर, भोग लगा कर सोए हुए देवों को जगाया जाता है। मंदिरों एवं घरों में भगवान विष्णु के चल स्वरूप शालिग्राम जी एवं लक्ष्मी जी की प्रतीक तुलसी जी का विवाह संपन्न कराया जाता है। इसके साथ ही मांगलिक कार्यों का शुभारंभ हो जाता है। गन्ने की पूजा का खास महत्व
देवोत्थान पर्व पर गन्ने की पूजा का खास महत्व है। आज के दिन से पहले किसान भी अपनी गन्ने की फसल से गन्ना नहीं काटता है। इस दिन किसान गन्ने की लहलहाती फसल की पूजा करने के बाद काटते हैं।