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मिट्टी में न्यून हो रही जीवांश, कार्बन की मात्रा

धान के कटोरे में मृदा की सेहत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही। हाल ही में कृषि विभाग की ओर से चयनित माडल गांवों में कराए गए मृदा परीक्षण में जीवांश व कार्बन की मात्रा जहां न्यून पाई गई वहीं फास्फोरस अति न्यून है। इतना ही नहीं नाइट्रोजन जींक सल्फर की स्थिति भी खराब है। हालांकि आयरन बोरान मैगनीज कापर की स्थिति अभी संतोषजनक बनी

By JagranEdited By: Published: Sun, 01 Sep 2019 04:36 PM (IST)Updated: Sun, 01 Sep 2019 04:36 PM (IST)
मिट्टी में न्यून हो रही जीवांश, कार्बन की मात्रा
मिट्टी में न्यून हो रही जीवांश, कार्बन की मात्रा

जासं, चंदौली : धान के कटोरे में मृदा की सेहत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही। हाल ही में कृषि विभाग की ओर से चयनित माडल गांवों में कराए गए मृदा परीक्षण में जीवांश व कार्बन की मात्रा जहां न्यून पाई गई, वहीं फास्फोरस अति न्यून है। इतना ही नहीं नाइट्रोजन, जींक, सल्फर की स्थिति भी खराब है। हालांकि आयरन, बोरान, मैगनीज, कापर की स्थिति अभी संतोषजनक बनी हुई है। आने वाले दिनों में भी अन्नदाता रासायनिक उर्वरकों से परहेज नहीं करते तो वह दिन दूर नहीं जब हमारी मृदा की उर्वरा शक्ति पूरी तरह क्षीण हो जाएगी। वैसे विभाग की ओर से गांव व ब्लाक स्तर पर गोष्ठी के माध्यम से कृषकों को जैविक खाद के प्रयोग को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।

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शासन के निर्देश पर कृषि विभाग की ओर से रबी सीजन वर्ष 2019-20 में मृदा की जांच को नौ विकास खंडों के नौ गांवों को माडल गांवों के रूप में चयनित किया गया था। इसमें सदर में पुरवां, नियामताबाद सिकदरपुर, चहनियां सिगहा, बरहनी में नौबतपुर, धानापुर महेशी, नौगढ़ शाहपुर, चकिया पड़री, शहाबगंज अर्जीकृष्णार्पन व सकलडीहा का रतनपुर गांव शामिल है। नौ गांवों में जोत के आधार पर मिट्टी की जांच को 1595 नमूने एकत्रित किए गए। नमूनों की जांच के उपरांत मिट्टी की सेहत खराब पाई गई।

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जांच में किन तत्वों की कमी

मृदा की जांच में जीवांश, कार्बन की मात्रा न्यून (कम) पाई गई। फास्फोरस अतिन्यून, पोटाश मीडियम, नाइट्रोजन का प्रतिशत कम रहा। जींक, सल्फर कम पाया गया। आयरन, बोरान, मैगनीज, कापर, विद्युत चालकता की स्थिति संतोषजनक पाई गई।

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पोषक तत्वों की कमी

जीवांश, कार्बन की मात्रा कम होने से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होने लगती है। ऐसे में किसानों द्वारा गोबर की सड़ी खाद, सनई, ढैंचा आदि की खेती के जरिए मिट्टी की सेहत को सुधारा जा सकता है।

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वर्जन

मृदा में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने को किसानों को रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से परहेज करने की जरूरत है। धान की रोपाई से पूर्व खेतों में सनई, ढैंचा की खेती करना आवश्यक है।

डा. अभयदीप गौतम, कृषि वैज्ञानिक

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वर्जन

मृदा की सेहत में सुधार लाने को गांव व ब्लाक स्तर पर कृषि गोष्ठी व मेले के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जा रहा है। ताकि किसान गोबर की खाद का प्रयोग करें। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति को बढ़ाया जा सकता है।

विजय सिंह, उप कृषि निदेशक


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