औषधीय पौधों की करें खेती, नहीं होगी आर्थिक तंगी
कृषि विभाग की ओर से रविवार को विकास भवन सभागार में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। निजी उर्वरक विक्रेताओं को औषधीय पौधों की खेती की जानकारी दी गई। तुलसी एलोवेरा मसूली व अश्वगंधा की खेती की बारीकियां सिखाईं।न
जासं, चंदौली : कृषि विभाग की ओर से रविवार को विकास भवन सभागार में प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। निजी उर्वरक विक्रेताओं को औषधीय पौधों की खेती की जानकारी दी गई। तुलसी, एलोवेरा, मूसली व अश्वगंधा की खेती की बारीकियां सिखाईं। दुकानों पर उर्वरक खरीदने वाले किसानों को जागरूक करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
कृषि विशेषज्ञ सुरेंद्र वर्मा ने कहा औषधीय पौधों की खेती अन्नदाताओं के लिए कारगर साबित होगी। किसान धान, गेहूं की परंपरागत खेती के साथ ही तुलसी, अश्वगंधा, मूसली, एलोवेरा की खेती करें। इसके लिए सरकार की ओर से अच्छा-खासा अनुदान दिया जाता है। साथ ही उद्यान विभाग की योजनाओं का भी लाभ मिलेगा। विभाग की ओर से किसानों के उत्पाद को बाजार दिलाने की पहल की गई है। गोष्ठियों व कृषि मेला का आयोजन कर औषधीय पौधों की खेती के टिप्स भी दिए गए हैं। उर्वरक विक्रेता किसानों को खेती में विविधता के लिए प्रेरित करें। औषधीय पौधों की खेती में रोग का असर बहुत कम होता है। उर्वरक का कम इस्तेमाल होने से कृषि लागत भी घट जाती है। इससे किसानों को कई गुना अधिक लाभ होगा। उन्होंने फसलों में लगने वाले कीटों व मिट्टी में पोषक तत्वों के क्षरण से होने वाले नुकसान के बाबत भी जानकारी दी। कहा कीटों के चलते पौधों में सड़न होने लगती है। इससे पौधों का विकास बाधित हो जाता है और पौधे सूख जाते हैं। ऐसे में किसानों को कीटनाशकों के इस्तेमाल व जैविक खेती के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। उर्वरक विक्रेताओं को सब्जियों के वैज्ञानिक नाम बताए गए। अंत में पुस्तिका का वितरण किया गया। फैसिलेटेटर ओंकारनाथ सिंह समेत अन्य मौजूद थे।