वनांचल में प्रकृति के सौंदर्य राजदरी पर कोरोना का ग्रहण
जागरण संवाददाता चकिया (चंदौली) कोरोना की मार से प्रकृति का सौंदर्य राजदरी देवदरी जलप्रपता।
जागरण संवाददाता, चकिया (चंदौली) : कोरोना की मार से प्रकृति का सौंदर्य राजदरी देवदरी जलप्रपात अभी उबर नहीं पाया है। पूर्वांचल का स्वर्ग कहा जाने वाला जलप्रपात सैलानियों के लिए अभी भी बंद है। इससे पर्यटकों, सैलानियों के लिए सुहाने मौसम का सुहाना सफर बोझिल हो जा रहा है। प्रतिदिन सैकड़ों वाहन से पहुंचने वाले सैलानी मायूस होकर लौट जा रहे हैं।
वनांचल की वादियां शिमला जैसा सौंदर्य बिखेर रही हैं, लेकिन जल प्रपात पर सैलानियों की धमा चौकड़ी नहीं होने से सन्नाटा पसरा है। झरनों का कल कल नाद व पक्षियों की सुमधुर ध्वनि सुनने को सैलानी बेताब हो जा रहे हैं। प्राकृतिक सौंदर्य को बिखेरे चंद्रप्रभा बांध से सटे राजदरी-देवदरी जल प्रपात पर जनपद समेत पूर्वांचल के वाराणसी, जौनपुर, गाजीपुर, मऊ, बलिया व बिहार प्रांत के पर्यटक खुशगवार मौसम में यहां पहुंचते हैं। चहुंओर हरियाली के बीच जलप्रपात की नैसर्गिक सुंदरता का अवलोकन करते हैं। पक्षियों की चहचहाहट, वन्य जीवों के विचरण के बीच सैलानियों की आमदरफ्त होने से जंगल का सन्नाटा टूट जाता है। चट्टानों से टकराती हुई चंद्रमा सी सौंदर्य व शीतलता का दर्शन कराने वाले दृश्य को सैलानी घंटों निहारते रहते हैं। रूई के गोले की भांति प्रतीत होने वाली पानी की फुहारें मानव शरीर पर पड़ती हैं तो वे यहीं का होकर रहने की इच्छा मन में हिलोरे मारने लगती हैं, लेकिन इस वर्ष सैलानियों के लिए यह सब दिवास्वप्न सरीखा हो गया। वैश्विक महामारी के चलते मार्च माह के अंतिम सप्ताह में बंद जलप्रपात का मुख्य गेट सैलानियों, पर्यटकों के लिए 18 जून को खुला पर अगले तीन दिन बाद वन विभाग के उच्चाधिकारियों के आगमन पर प्रभागीय वनाधिकारी ने आदेश जारी कर 21 जून को पुन: प्रतिबंध लगाने का निर्देश जारी कर दिया, जो आज तक जारी है। लोगों का कहना है कि कोरोना काल में बंद मंदिर समेत अन्य स्थल खुल चुके हैं। राजदरी देवदरी जलप्रपात पर प्रवेश की इजाजत नहीं दिया जाना समझ से परे है। इससे कैंटीन, वाहन स्टैंड के कर्मचारी आर्थिक तंगी से गुजर रहे हैं। वहीं प्रवेश द्वार पर वन विभाग द्वारा वाहन व सैलानियों से वसूले जाने वाले शुल्क के रूप में राजस्व का लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है।
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वर्जन
वैश्विक महामारी के चलते सैलानियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया था। प्रतिबंध हटाने के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र प्रेषित किया गया है।
-बृजेंद्र पांडेय, वन क्षेत्राधिकारी