आइजा अवधेश, मान जा, शुगनिया के का जवाब देइब ..
शुगनिया हो शुगनिया ..। बेटे के वियोग में कलप रही मां इन्हीं शब्दों को दोहराते आवाज लगातीं अवधेश आइजा, मानजा बेटवा, शुगनिया के का जवाब देइब। कैंसर पीड़ित मां की बातें बहुतों को समझ नहीं आ रहीं थीं लेकिन समझने वालों का कलेजा कांप उठ रहा था।
पड़ाव (चंदौली) : शुगनिया हो शुगनिया ..। बेटे के वियोग में कलप रही मां इन्हीं शब्दों को दोहराते आवाज लगातीं अवधेश आइजा, मानजा बेटवा, शुगनिया के का जवाब देइब। कैंसर पीड़ित मां की बातें बहुतों को समझ नहीं आ रहीं थीं लेकिन समझने वालों का कलेजा कांप उठ रहा था। लाचार मां के सामने लोग पांच मिनट खड़े नहीं हो पा रहे थे। दरअसल, गांवों में बड़े-बुजुर्ग जिन्हें बहुत लाड़ करते शुगनिया कहते हैं।
सीआरपीएफ जवान अवधेश की शादी छह साल पूर्व सैयदराजा की शिल्पी से हुई थी। शिल्पी अपनी सासू में मां का अक्स देखती तो उसे वह प्यार से शुगनियां बुलातीं। अवधेश के न रहने पर शिल्पी कैंसर पीड़ित सास का पूरा ख्याल रखती। ऐसे में दुखों के सागर में डूबी बहू को निकालते मालती बिलखते हुए बार-बार शहीद बेटे से लौट आने की मिन्नतें कर रहीं थी। उन्हें ऐसा लग रहा था बचपन से बड़े होने तक मां के एक इशारों पर हदों से गुजर जाने वाला बेटा चिरनिद्रा से उठ खड़ा होगा। उनके निकट ही एक कमरे में पिछले 13 घंटे से सुबक रहीं बहू की सिसकियां लोगों को झकझोर रहीं थी। सास-बहू की हालत ऐसी कि उन्हें ढाढ़स बंधाने पहुंची पास-पड़ोस, नाते, रिश्तेदार महिलाएं वहां पहुंच खुद को नहीं संभाल पा रहीं थी। मौके पर पहुंचे कुछ अधिकारी, शहरी रिश्तेदार गमगीन खड़े थे। उन्हें मां की पीड़ा तो दिख रही थी लेकिन मां की करुण व्यथा नहीं समझ पा रहे थे। उनके सवाल पर जब महिलाओं ने बताया कि बेटी सरीखी बहू के लिए बेटे को बुलाने की कोशिश कर रहीं तो बरबश लोगों की आंखों से आंसू छलक आए..।