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खुले में नहीं रहेंगे बेजुबान, मनरेगा से कैटल शेड का निर्माण

जागरण संवाददाता चंदौली सर्दियों के मौसम में बेजुबानों को खुले आसमान के नीचे नहीं रहना हो

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 05:53 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 05:53 PM (IST)
खुले में नहीं रहेंगे बेजुबान, मनरेगा से कैटल शेड का निर्माण
खुले में नहीं रहेंगे बेजुबान, मनरेगा से कैटल शेड का निर्माण

जागरण संवाददाता, चंदौली : सर्दियों के मौसम में बेजुबानों को खुले आसमान के नीचे नहीं रहना होगा। अतिपिछड़े जिले में मनरेगा से कैटल शेड का निर्माण शुरू हो गया है। ब्लाक प्रशासन की ओर से पात्रों का चयन व कार्ययोजना बनाकर उपायुक्त मनरेगा को प्रेषित की जा रही। इस पर तत्काल कार्रवाई हो रही है। मनरेगा के जरिए पशुपालकों के घर के बाहर कैटल शेड बनवाए जा रहे हैं। इससे पशुपालकों को काफी राहत मिल गई है।

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सरकार का गोवंश संरक्षण पर विशेष जोर है। ऐसे में मनरेगा से कैटल शेड निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। एक साथ तीन-चार मवेशी को छाया में रखने के लिए पशुपालकों के घर के बाहर कैटल शेड बनवाए जा रहे हैं। पशुओं को चारा खाने के लिए चरनी आदि का निर्माण भी कराया जा रहा है। इसके लिए ब्लाक मुख्यालय पर आवेदन किया जा रहा है। हालांकि घर के बाहर कैटल शेड निर्माण के लिए भूमि होनी चाहिए। ब्लाक प्रशासन की ओर से आवेदकों के सत्यापन के बाद चयन किया जा रहा है। चयनित लाभार्थियों की सूची मनरेगा उपायुक्त को भेजी जा रही है।

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मनरेगा के तहत कराए जा रहे 1654 निजी काम

जिले में मनरेगा से कुल 1654 निजी काम कराए जा रहे हैं। इसमें कैटल शेड, तालाब, आवास, शौचालय, मिट्टी के काम, मेढ़बंदी, खेत का समतलीकरण, बर्मी कंपोस्ट यूनिट आदि का निर्माण शामिल हैं। फिलहाल जिले में 18 हजार मजदूरों को नियमित काम मिल रहा है। धान की कटाई के बाद खेत खाली होने पर मजदूरों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। कोरोना काल में बेरोजगार हुए कामगारों के लिए मनरेगा संजीवनी साबित हुई। अनलाक एक में अतिपिछड़ा जिला मनरेगा के तहत काम दिलाने के मामले में सूबे में दूसरे स्थान पर पहुंच गया था। करीब 90 हजार मजदूरों को काम मिला था। इससे कई परिवारों की रोजी-रोटी चलती रही।

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जनपद में 1.80 लाख सक्रिय कार्डधारक

जनपद में मनरेगा के तहत सवा दो लाख पंजीकृत मजदूर हैं। लेकिन 1.80 लाख कार्डधारक सक्रिय हैं। इन्होंने पिछले तीन वर्षों के अंदर मनरेगा के तहत काम किया है। हालांकि विभाग किसी भी जाब कार्ड को निष्क्रिय करने के मूड में नहीं है। क्योंकि मनरेगा जाब कार्ड को अब पहचान पत्र के रूप में मान्यता दी जा रही है।

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वर्जन :

' मनरेगा के जरिए कैटल शेड समेत 1654 निजी काम कराए जा रहे हैं। फिलहाल 18 हजार मजदूरों को काम मिल रहा है। धान की कटाई के बाद खेत खाली होंगे तो काम में तेजी आएगी। अधिक से अधिक मजदूरों को रोजगार मिलेगा।

धर्मजीत सिंह, उपायुक्त मनरेगा


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