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अमेरिका की तकनीक से ट्रेन दुर्घटनाओं पर लगेगा ब्रेक

अमेरिकी तकनीक का मेक इन इंडिया स्वरूप ट्रेन दुर्घटनाओं पर पूरी तरह रोक लगाएगा। भारतीय रेल ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए दीनदयाल उपाध्याय और तुगलकाबाद को स्मार्ट यार्ड बनाने की योजना बनाई है। यहां यार्डों में ह्वील इंपैक्ट लोड डिटेक्टर सिस्टम सहित अन्य उपकरण लगाए जाएंगे, जो 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ रहीं ट्रेनों की खामियों को पकड़कर आटो मैसेज के जरिए कंट्रोल रूम को इत्तला करेंगे। बाकी अधिकारी तत्काल प्रभावित ट्रेन के चालक और गार्ड को आगाह करेंगे साथ ही समय रहते खामी को दुरुस्त भी कर दिया जाएगा। तकरीबन 30 करोड़ रुपये लागत की इस परियोजना पर होमवर्क शुरू कर दिया गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 14 Jan 2019 11:07 PM (IST)Updated: Mon, 14 Jan 2019 11:07 PM (IST)
अमेरिका की तकनीक से ट्रेन दुर्घटनाओं पर लगेगा ब्रेक
अमेरिका की तकनीक से ट्रेन दुर्घटनाओं पर लगेगा ब्रेक

विवेक दुबे,

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जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर, (चंदौली): अमेरिकी तकनीक का मेक इन इंडिया स्वरूप ट्रेन दुर्घटनाओं पर रोक लगाएगा। भारतीय रेल ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन और तुगलकाबाद को स्मार्ट यार्ड बनाने जा रहा। यार्डों में ह्वील इंपैक्ट लोड डिटेक्टर सिस्टम सहित अन्य उपकरण लगाए जाएंगे जो 130 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ रहीं ट्रेनों की खामियों को पकड़कर आटो मैसेज के जरिए कंट्रोल रूम को इत्तला करेंगे। बाकी अधिकारी तत्काल प्रभावित ट्रेन के चालक और गार्ड को आगाह करेंगे। साथ ही समय रहते खामी को दुरुस्त भी कराएंगे। तकरीबन 30 करोड़ रुपये की लागत की इस परियोजना पर होमवर्क शुरू कर दिया गया है।

दीनदयाल उपाध्याय रेल यार्ड व तुगलकाबाद स्टेशन यार्ड दोनों ही स्थानों पर ह्वील इंपैक्ट लोड डिटेक्टर सिस्टम और उच्च क्षमतायुक्त कैमरे लगाए जाएंगे जो चलती ट्रेनों के कोचों में खराबी, ब्रेक, पहियों, स्प्रिंग आदि में किसी भी प्रकार की खामी को पकड़ लेंगे और कंट्रोल को सूचित करेंगे। तकनीकी खराबी पता चलते ही कंट्रोल रूम में लालबत्ती जलने के साथ ही सायरन बजने लगेगा। अधिकारी अलर्ट हो जाएंगे और ट्रेन के चालक और गार्ड को भी चेताएंगे। यार्ड में ही एक स्थान पर समस्या को दुरुस्त कर ट्रेन को आगे रवाना किया जाएगा। आरडीएसओ और कोफमोव कर रहे काम

ट्रेन दुर्घटनाओं को रोकने की यह तकनीक अमेरिका की है और कुछ उपकरण भी वहीं से मंगाए जाएंगे लेकिन इसका बड़ा हिस्सा मेक इन इंडिया है। रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन और सेंटर फार मार्डनाइजेशन एंड वर्कशाप मिलकर इस पर काम कर रहे हैं। डीडीयू यार्ड में सिस्टम को स्थापित करने में लगभग 30 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। यह परियोजना विशेषकर मालवाहक ट्रेनों के मेंटेनेंस खर्च को कम करने में काफी सहायक होगी। बोगियों की मरम्मत के भारी भरकम खर्च में कमी आएगी। फ्रेट एग्जामिनेशन की दिशा में रेलवे का यह बहुत बड़ा कदम है। रेलवे का यह कदम सराहनीय है। साथ ही डीडीयू जंक्शन को बड़ी सौगात मिल रही है। इस दिशा में होमवर्क शुरू कर दिया गया है। शीघ्र ही कार्य शुरू हो जाएगा।

-श्रवण कुमार, वरीय मंडल यांत्रिक अभियंता।


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