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गंगा की अविरलता के लिए सजगता की नसीहत

गंगा हमारी संस्कृति ही नहीं राष्ट्रीय धरोहर भी है। यह 40 करोड़ लोगों की जीवन रेखा है। इसकी अविरलता को बनाए रखने के लिए प्रोफेसर जीडी अग्रवाल स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के रूप में सन्यासी बन गए

By JagranEdited By: Published: Fri, 09 Nov 2018 07:20 PM (IST)Updated: Fri, 09 Nov 2018 11:15 PM (IST)
गंगा की अविरलता के लिए सजगता की नसीहत
गंगा की अविरलता के लिए सजगता की नसीहत

जागरण संवाददाता, पीडीडीयू नगर, (चंदौली) : गंगा हमारी संस्कृति ही नहीं राष्ट्रीय धरोहर भी है। यह 40 करोड़ लोगों की जीवन रेखा है। इसकी अविरलता को बनाए रखने के लिए प्रोफेसर जीडी अग्रवाल स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के रूप में सन्यासी बन गए और 101 दिन अनशन करने के पश्चात अपने प्राण त्याग दिए। बावजूद इसके केंद्र सरकार ने प्रभावी कदम नहीं उठाए। गंगा को स्वच्छ रखने को जो भी प्रयास किए जा रहे हैं, नाकाफी है। गंगा की अविरलता के लिए लोगों को भी आगे आना होगा। यह कहना है मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित राजेंद्र ¨सह राणा का, वे गंगोत्री से निकली अविरल गंगा संकल्प यात्रा के साथ गुरुवार को पीडीडीयू नगर पहुंचे। सुभाष पार्क में स्थानीय लोगों ने स्वागत किया। अभियान में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने का संकल्प लिया। राजेन्द्र ¨सह राणा ने कहा कि प्रोफेसर जीडी अग्रवाल भारत के प्रथम पर्यावरण विज्ञान के प्राध्यापक थे। पर्यावरण विज्ञान आइआइटी कानपुर पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष रहते हुए गंगा पर अनेकों शोध किए। समय के साथ उनका ज्ञान समर्पण का रूप लेता गया और फिर प्रोफेसर जीडी अग्रवाल स्वामी ज्ञान स्वरूप सानंद के रूप में एक सन्यासी बन गए। केंद्र सरकार से गंगा की दुर्दशा को दूर करने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की। कई दफा अनशन किया, पत्र लिखा। लेकिन सरकार पर इसका कोई असर नहीं हुआ। अंत में स्वामी सानंद ने 101 दिन अनशन के बाद अपने प्राण त्याग दिए। कहा कि गंगा में 17 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के लिए बेहद लाभकारी हैं। गंगा को रोककर के इन लाभकारी तत्वों को नष्ट कर दिया गया है। 40 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य पर इसका असर पड़ा है। तटवर्ती लोगों को तरह-तरह की प्राणघातक बीमारियों ने जकड़ लिया है। इन बीमारियों से बचने के लिए गंगा का अविरल होना बहुत जरूरी है। गंगा को बचाने के लिए जन-जन को आंदोलन करना पड़ेगा। यह हमारी लड़ाई नहीं है, बल्कि हमारे बच्चों के भविष्य की लड़ाई है। यह यात्रा निकाली जा रही है ताकि लोगों को जागृत किया जा सके। इस दौरान रामतीरथ ¨सह, अर¨वद ¨सह, संतोष कुमार पाठक, राजीव कुमार, कला प्रसाद सोनकर, प्रभाकर वर्धन आदि रहे।

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