Move to Jagran APP

आदित्य ने साइकिल को ही बना लिया चलता-फिरता स्कूल

आदित्य गरीबी व जागरूकता के अभाव में शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं। बिना किसी लोभ-लालच के गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहे। इसके लिए उन्होंने अपनी साइकिल को ही चलता-फिरता स्कूल बना लिया है। जहां भी गरीब बच्चे मिले वहीं उनकी पाठशाला लग जाती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Nov 2019 06:55 PM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2019 06:55 PM (IST)
आदित्य ने साइकिल को ही बना लिया चलता-फिरता स्कूल
आदित्य ने साइकिल को ही बना लिया चलता-फिरता स्कूल

जागरण संवाददाता, चंदौली : आदित्य गरीबी व जागरूकता के अभाव में शिक्षा से वंचित बच्चों के लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं। बिना किसी लोभ-लालच के गरीब बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रहे। इसके लिए उन्होंने अपनी साइकिल को ही चलता-फिरता स्कूल बना लिया है। जहां भी गरीब बच्चे मिले, वहीं उनकी पाठशाला लग जाती है। बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के बाद आगे बढ़ जाते हैं। 'आओ भारत को साक्षर बनाएं' मुहिम के तहत देश के 29 राज्यों में सैकड़ों स्थानों पर पाठशालाएं लगा चुके हैं। उनकी प्रेरणा से हजारों बच्चों ने स्कूलों का रूख किया और पढ़-लिखकर अपनी किस्मत संवार रहे।

loksabha election banner

फर्रूखाबाद जिले के सलेमपुर गांव निवासी आदित्य का बचपन काफी मुफलिसी में बीता। पिता मजदूरी कर किसी तरह परिवार का पेट पालते थे। वहीं मां भी घरों में छोटे-मोटे काम करती थी। किसी तरह उन्होंने बीएससी तक की शिक्षा प्राप्त की। परिवार की माली हालात ठीक न होने से आगे की पढ़ाई नहीं कर सके। गरीबी के चलते पढ़ाई न करने की कसक आज भी उन्हें पीड़ा देती है। उन्होंने गरीब बच्चों को शिक्षित करने की ठान ली और साइकिल उठाकर निकल गए शिक्षा की अलख जगाने। जहां कहीं गरीब बच्चे मिले वहीं झुग्गी-झोपड़ी में उनकी पाठशालाएं लग जाती हैं। बच्चों के साथ ही अभिभावकों को भी शिक्षा के महत्व से परिचित कराते हैं। उनकी प्रेरणा से हजारों बच्चों ने स्कूल की दहलीज पार की। गत 27 वर्षों से लगातार शिक्षा की अलख जगा रहे हैं। उनकी मानें तो अब तक साइकिल से लाखों किलोमीटर यात्रा कर चुके हैं। खामोशी के साथ किए गए उनके कार्यों ने ऐसा शोर मचाया कि पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व पूर्व राज्यपाल रामनाइक के हाथों सम्मानित हुए। उनको अपनी इस पहल से काफी सुकून मिलता है लेकिन सरकार व प्रशासनिक तंत्र की ओर से कोई सहयोग न मिलने का मलाल भी है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.