मिट्टी के 14 हजार नमूनों की जांच लंबित
जागरण संवाददाता, चंदौली : मिट्टी के नमूनों की जांच के आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ-साफ
जागरण संवाददाता, चंदौली : मिट्टी के नमूनों की जांच के आंकड़ों पर नजर डालें तो साफ-साफ दिखाई देगा कि कृषि विभाग अन्नदाताओं को दिन में सपने दिखा रहा है। यही हाल रहा तो किसानों की आय दोगुनी करने को ²ढ़ संकल्पित सरकार मृदा जांच के मामले में फिसड्डी साबित हो रही है। उदाहरण के तौर पर कृषि विभाग के दावे के मुताबिक रोज 100 मृदा नमूनों की जांच की जाती है, पर रिपोर्ट के लिए किसानों को कम से कम 20 दिनों तक इंतजार करना पड़ता है। हालांकि धान के कटोरे में विभाग की ओर से वित्तीय 15-16 व 16-17 में 1,36,527 मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण का दावा किया जा रहा है। चालू वर्ष 17-18 में 21,945 नमूनों के सापेक्ष अब तक 7,304 नमूनों की ही जांच हो पाई है। इसमें 3,029 किसानों में कार्ड बांटे गए हैं।
कृषि प्रधान जनपद में एक लाख 36 हजार हेक्टेअर क्षेत्रफल में शुद्ध रूप से खेती होती है। यहां कुल किसानों की संख्या 1,92,234 लाख है। मृदा की जांच को सदर, चकिया व सकलडीहा तहसील में प्रयोगशाला की स्थापना की गई। इन केंद्रों पर मिट्टी की सामान्य जांच की जाती है। वहीं मृदा की सूक्ष्म जांच को जिला मुख्यालय स्थित कृषि उपनिदेशक कार्यालय में वर्ष 2017 में मशीन की स्थापना की गई। इसके पूर्व सूक्ष्म जांच को विभाग नमूने वाराणसी भेजता था। - लक्ष्य के सापेक्ष स्थिति खराब
मिट्टी की जांच को कृषि विभाग की ओर से वर्ष 17-18 में 21,945 नमूने लिए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें सभी सैंपल की जांच हो गई है पर स्वास्थ्य कार्ड वितरण की स्थिति संतोषजनक नहीं है। अब तक मात्र 3029 किसानों में ही हेल्थ कार्ड का वितरण किया गया है। वहीं 7,304 नमूनों की ही रिपोर्ट प्राप्त हो पाई है। विभाग की माने तो यदि रोज सौ नमूनों की जांच होती है तो एक माह में दस दिन अवकाश का निकाल दिया जाय तो बीस दिनों में दो हजार नमूनों की जांच हो जानी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है।
-43,883 के सापेक्ष 1,36,327 कार्ड
कृषि विभाग की ओर से वर्ष 15-16 व 16-17 में 43,883 मृदा नमूने लिए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसमें 15-16 में 17,464 व 16-17 में 26,419 नमूनों की जांच की गई। इसके सापेक्ष 1,36, 527 किसानों में हेल्थ कार्ड बांटा गया। विभाग का कहना है कि एक मृदा नमूने के सापेक्ष औसतन पांच से छह किसानों को स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है। यदि ढाई हेक्टेअर क्षेत्रफल में मिट्टी का नमूना लिया गया तो इसमें कम से कम पांच किसानों की भूमि समाहित होती है। - किसानों में जागरूकता का अभाव
कृषि विभाग भले ही मिट्टी की जांच का ¨ढढोरा पीटे। पर धान के कटोरे में आज भी ऐसे किसान हैं जिन्हें मृदा की जांच से कोई सरोकार ही नहीं है। जागरूकता के अभाव में किसान पुरानी पंरपरा से ही खेती करते आ रहे हैं। ऐसे में मिट्टी की सेहत तो खराब हो ही रही है, उत्पादन पर भी विपरित असर पड़ रहा है। ..
मृदा नमूनों की जांच को किसानों को गोष्ठी के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है। जल्द ही लक्ष्य के सापेक्ष पूर्ति सुनिश्चित कर ली जाएगी।
आरके ¨सह, कृषि उप निदेशक।